पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं, लेकिन दोनों ही प्रमुख गठबंधनों के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर गहरी अंदरूनी कलह सामने आ रही है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि गठबंधन इसे छिपाने में अब कठिनाई महसूस कर रहे हैं। सबसे अधिक खींचतान महागठबंधन में देखी जा रही है, जहां प्रमुख घटक दल सीटों को लेकर आमने-सामने हैं।
महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, वामदल और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बीच लगभग एक दर्जन सीटों को लेकर घमासान जारी है। जाले, वैशाली, लालगंज और वारिसलीगंज जैसी सीटों पर कांग्रेस और राजद दोनों अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। यह स्थिति महागठबंधन के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि इन सीटों पर दोनों दलों के मजबूत आधार माने जाते हैं। सिमरी बख्तियारपुर की सीट को लेकर राजद और वीआईपी के बीच सीधा टकराव है। यह सीट पिछली बार राजद ने जीती थी, जबकि उस समय वीआईपी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा रहते हुए इस सीट पर चुनाव लड़ी थी। इस बार वीआईपी इस सीट पर अपना दावा पेश कर रही है, जिससे राजद के लिए इसे छोड़ना मुश्किल हो रहा है।
वामदल भी महागठबंधन के साथ दो-तीन सीटों पर रस्साकशी कर रहे हैं। इनमें बहादुरपुर सीट पर राजद और बछवाड़ा व राजगीर सीटों पर कांग्रेस के साथ वामदलों का गतिरोध बना हुआ है। यह स्थिति महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठा रही है, खासकर ऐसे समय में जब चुनाव नजदीक हैं और उन्हें एक मजबूत संदेश के साथ जनता के बीच जाना है।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटों का बंटवारा सैद्धांतिक रूप से सभी 243 सीटों पर हो चुका है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) ने अपनी-अपनी निर्धारित सीटों पर प्रत्याशियों के नाम भी तय कर दिए हैं। हालांकि, इसके बावजूद एनडीए के भीतर आपसी गतिरोध पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है।
एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच पर्दे के पीछे से तनाव की खबरें लगातार आ रही हैं। मांझी ने तो मखदुमपुर और बोधगया सीटों पर चिराग के उम्मीदवार के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारने की भी घोषणा कर दी है। यह एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि दोनों ही नेता अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं। एनडीए का शीर्ष नेतृत्व इस मामले को सुलझाने में लगा हुआ है, ताकि चुनाव से पहले किसी भी प्रकार के आंतरिक विरोध को शांत किया जा सके।
वोट ट्रांसफर में फंस सकता है पेच
यदि गठबंधनों में सीट शेयरिंग का मामला किसी तरह सुलझ भी जाता है, तो इस पूरी रस्साकशी का सीधा नुकसान दोनों ही गठबंधनों को चुनावी मैदान में उठाना पड़ सकता है। खासकर उन सीटों पर जहां गठबंधन के भीतर ही आपसी खींचतान रही है, वहां दावा जता रहे गठबंधन के दूसरे दल के वोट को अपने पक्ष में ट्रांसफर कराना आसान नहीं होगा। कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच बनी दूरी और मनमुटाव का असर जमीनी समीकरणों पर देखने को मिलेगा। यदि वोट ट्रांसफर ठीक से नहीं होता है, तो इसका सीधा फायदा विरोधी दलों को मिल सकता है। ऐसे में, दोनों ही गठबंधनों के लिए यह केवल सीटों के बंटवारे का नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं के मनोबल और एकजुटता बनाए रखने का भी एक बड़ा इम्तिहान है।
Pls read:Bihar: भाजपा ने बिहार चुनाव 2025 के लिए दूसरी लिस्ट जारी की, मैथिली ठाकुर को अलीनगर से टिकट