Uttarpradesh: योगी सरकार का ‘बाल विवाह को ना’ अभियान बालिकाओं के सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर

लखनऊ: मिशन शक्ति 5.0 अभियान के तहत योगी सरकार ने बाल विवाह की कुप्रथा के खिलाफ ऐतिहासिक अभियान छेड़ दिया है. अंतरराष्ट्रीय बालिका सप्ताह (3 से 11 अक्टूबर) के थीम पर “बाल विवाह को ना” कार्यक्रम के माध्यम से सभी जिलों में एक साथ आयोजित कार्यक्रमों ने बालिकाओं और महिलाओं ने कुप्रथाओं के बंधनों से मुक्त करने का संकल्प दोहराया.

इस अभियान ने न केवल बाल विवाह के दुष्परिणामों पर जन-जागरूकता फैलाई, बल्कि उन साहसी बालिकाओं को सम्मानित कर समाज को नई दिशा भी दिखाई, जिन्होंने दबावों के बावजूद विवाह ठुकराकर शिक्षा और आत्मनिर्भरता का मार्ग चुना. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आंकड़ों के दृष्टिकोण से यह प्रयास प्रदेश को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है.

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित इस अभियान में प्रदेशभर के सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों और पंचायतों में सामुदायिक संवाद, गोष्ठियां, नाटक, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं और व्याख्यान आयोजित किए गए. विशेषज्ञों, अध्यापकों, समाजसेवियों और बालिकाओं ने खुलकर बाल विवाह के स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक दुष्प्रभावों पर चर्चा की. बाल विवाह से बालिकाओं की शिक्षा बाधित होती है, करियर की संभावनाएं सीमित हो जाती हैं. नाबालिग आयु में गर्भधारण मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर बढ़ाता है, जबकि किशोरावस्था में मातृत्व शारीरिक-मानसिक समस्याएं पैदा करता है. घरेलू हिंसा और शोषण का खतरा भी बढ़ जाता है. यह कुप्रथा समाज की आर्थिक-सामाजिक प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है.

कार्यक्रम का सबसे प्रेरणादायक पहलू रहा उन साहसी बालिकाओं का सम्मान, जिन्होंने सामाजिक दबावों का डटकर मुकाबला किया. इन बालिकाओं ने परिवार और समाज की अपेक्षाओं को तोड़कर किताबों का दामन थामा, स्वाभिमान को चुना. हर बालिका को अपने भविष्य का निर्णय खुद लेने का हक है.

उत्तर प्रदेश में बाल विवाह के खिलाफ अभियान का दिख रहा सकारात्मक परिणाम
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बाल विवाह का औसत 15.8 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3 से काफी नीचे है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक गंभीर है, लेकिन विगत पांच वर्षों में योगी सरकार के प्रयासों से इसमें उल्लेखनीय कमी आई है. विभाग ने अब तक 2000 से अधिक संभावित बाल विवाह रोककर सैकड़ों बालिकाओं को बचाया है. मिशन शक्ति 5.0 के तहत यह अभियान सरकार की 2030 तक प्रदेश को बाल विवाह मुक्त बनाने की संकल्पना को साकार कर रहा है.

समाज को आईना दिखा रहा योगी सरकार का अभियान
भारत सरकार के बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत विवाह कराना या उसमें शामिल होना दंडनीय अपराध है. प्रदेश में जिला प्रोबेशन अधिकारियों को प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त कर कानूनी क्रियान्वयन मजबूत किया गया है. लेकिन कानून के साथ-साथ परिवार स्तर पर मानसिकता परिवर्तन जरूरी है. मिशन शक्ति 5.0 ने इसी दिशा में काम किया, जहां पिता-भाइयों को भी बालिकाओं के अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाया गया. योगी सरकार का यह अभियान नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है. इस कार्यक्रम ने बालिकाओं को न केवल संकल्प दिलाया, बल्कि समाज को आईना भी दिखाया.

महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव लीना जोहरी ने कहा, “बाल विवाह केवल सामाजिक कुरीति नहीं, बल्कि बालिकाओं के अधिकारों का घोर उल्लंघन है. सरकार शिक्षा, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण से बालिकाओं को मजबूत बना रही है. आज बालिकाओं का साहस ही नया उत्तर प्रदेश गढ़ेगा. सामूहिक प्रयास से ही इस कुप्रथा का अंत संभव है.”

 

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