लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से राहत दिलाने के लिए एक अहम कदम उठाया है. योगी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन (समीक्षा याचिका) दाखिल की जाए.
मुख्यमंत्री का मानना है कि प्रदेश में पहले से कार्यरत शिक्षक लंबे समय से शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा हैं और बच्चों को पढ़ाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. सरकार समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षण देती रही है ताकि वे बदलते समय और शिक्षा प्रणाली की जरूरतों के अनुरूप शिक्षण कार्य कर सकें. ऐसे में उनकी वर्षों की सेवा और अनुभव को दरकिनार करना उचित नहीं है.
शिक्षकों की योग्यता और अनुभव का सम्मान:
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों की योग्यता और अनुभव का सम्मान करती है. उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा में राज्य का पक्ष मजबूती से रखा जाए, ताकि सेवारत शिक्षकों को राहत मिल सके. सरकार का प्रयास रहेगा कि शिक्षक निश्चिंत होकर बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें और उनकी सेवाओं का सम्मान बना रहे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षकों में असमंजस:
उल्लेखनीय है कि 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा. इस आदेश से लाखों सेवारत शिक्षक असमंजस में हैं. उनका मानना है कि वर्षों की सेवा और अनुभव के बावजूद यदि उन्हें केवल एक परीक्षा के आधार पर अयोग्य करार दिया गया, तो यह उनके भविष्य और परिवार की आजीविका पर संकट ला सकता है. प्रदेश में करीब डेढ़ लाख शिक्षक ऐसे हैं जो बगैर टीईटी के नियुक्त हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम इन शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो सकता है.
Pls read:Uttarakhand: देहरादून में मूसलाधार बारिश ने मचाई तबाही, दस लोगों के शव बरामद, आठ लापता