Nepal: नेपाल को मिली पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, भारत ने जताया स्वागत – The Hill News

Nepal: नेपाल को मिली पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, भारत ने जताया स्वागत

नई दिल्ली/काठमांडू: नेपाल ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक क्षण का अनुभव किया जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भारतीय समयानुसार रात्रि पौने नौ बजे (नेपाली समय रात्रि नौ बजे) शीतल निवास में कार्की को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब देश युवाओं के नेतृत्व वाले एक आंदोलन और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा था।भारत ने सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी इस अंतरिम सरकार का स्वागत किया है और शांति व स्थिरता की उम्मीद जताई है।

भारत ने जताई शांति और स्थिरता की उम्मीद
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत माननीय श्रीमती सुशीला कार्की के नेतृत्व में नेपाल में नई अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत करता है।मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि इससे शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। भारत ने यह भी दोहराया कि एक करीबी पड़ोसी, एक लोकतंत्र और दीर्घकालिक विकास साझेदार के रूप में, भारत दोनों देशों और लोगों की भलाई और समृद्धि के लिए नेपाल के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुशीला कार्की को नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने पर हार्दिक बधाई दी और नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत की पूरी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

कार्की की नियुक्ति और जनांदोलन
सुशीला कार्की की नियुक्ति केपी शर्मा ओली के इस सप्ताह की शुरुआत में इस्तीफे के बाद हुई है। जेन-जी (Gen-Z) समूह के युवाओं के नेतृत्व में देश में एक बड़े आंदोलन ने एक गैर-राजनीतिक, विश्वसनीय व्यक्ति की मांग की थी जो देश को संकट से बाहर निकाल सके।] कार्की को भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए जेन-जी में काफी लोकप्रियता मिली है। उनकी नियुक्ति की खबर मिलते ही जेन-जी युवाओं ने काठमांडू के महाराजगंज स्थित शीतलनिवास स्थित राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर जीत का जश्न मनाया। सोशल मीडिया पर “पहली महिला प्रधानमंत्री को बधाई”, “सफल हो, देश बचाओ और बनाओ”, “जेन-जी का शुक्रिया, जिन्होंने इसे संभव बनाया” जैसे पोस्टों की बाढ़ आ गई।

मंत्रिपरिषद और आगामी चुनाव
कार्की की मंत्रिपरिषद तीन सदस्यीय होने पर सहमति बनी है, लेकिन कार्य की अधिकता को देखते हुए इसे सात तक किया जा सकता है। मंत्रिमंडल के चेहरे कौन होंगे, यह प्रधानमंत्री ही तय करेंगी, और माना जा रहा है कि शनिवार तक मंत्रिपरिषद के चेहरे तय हो जाएंगे।सूत्रों के अनुसार, दो आयोगों के गठन को भी स्वीकृति दी गई है: एक न्यायिक आयोग जो हिंसा प्रकरण की जांच करेगा, और दूसरा भ्रष्टाचार निवारक आयोग जो ईमानदार प्रशासन के लिए कार्य करेगा और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करेगा। सुशीला कार्की को छह महीने के भीतर देश में आम चुनाव कराने होंगे। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है, जो जेन-जी प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगों में से एक थी।राष्ट्रपति कार्यालय से जारी नोटिस के अनुसार, संसद का निचला सदन 12 सितंबर 2025 की रात 11 बजे से भंग हो गया है।] इसके साथ ही नए संसदीय चुनाव कराने की तारीख 5 मार्च 2026 तय की गई है

आंदोलन का प्रभाव और नुकसान
जेन-जी युवाओं के नेतृत्व वाले सरकार विरोधी प्रदर्शनों में नेपाल के लगभग दो दर्जन होटलों में तोड़फोड़, लूटपाट या आगजनी की घटनाएं हुई हैं, जिससे 25 अरब नेपाली रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। होटल एसोसिएशन नेपाल (एचएएन) ने बताया कि काठमांडू का हिल्टन होटल सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जिसे अकेले आठ अरब रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। काठमांडू घाटी, पोखरा, बुटवल, भैरहवा, झापा, विराटनगर, धनगढ़ी, महोत्तरी और डांग-तुलसीपुर के अन्य प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड होटलों को भी हिंसा का खामियाजा भुगतना पड़ा। एसोसिएशन ने सरकार से मरम्मत व पुनर्निर्माण के लिए एक आर्थिक राहत पैकेज का भी आग्रह किया है। नेपाल पुलिस ने बताया कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान मरने वालों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है, जिनमें एक 55 वर्षीय भारतीय महिला (गाजियाबाद निवासी राजेश देवी गोला) और तीन पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। पुलिस ने कहा कि गुरुवार और शुक्रवार को देश के विभिन्न हिस्सों में 17 शव बरामद हुए हैं।

सुशीला कार्की का संक्षिप्त परिचय
73 वर्षीय सुशीला कार्की ने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की है। उन्होंने न्यायिक पेशे में 32 साल बिताए हैं और जुलाई 2016 में नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनी थीं।उन्हें अपनी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के लिए जाना जाता है।] 2017 में तत्कालीन सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव तक पेश कर दिया था, जिसे चौतरफा आलोचना के बाद वापस ले लिया गया था। अब उनके सामने नेपाल को स्थिरता देने और 6 महीने के भीतर निष्पक्ष चुनाव कराने की सबसे बड़ी चुनौती है।

 

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