चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में पंजाब में आई बाढ़ का जायजा लेने के बाद यह खुलासा हुआ कि राज्य सरकार के पास स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड (एसडीआरएफ) के 12,000 करोड़ रुपये पहले से मौजूद हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने 1,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता देने की घोषणा की है। अब यह बात तूल पकड़ रही है कि आखिर राज्य सरकार के पास इतनी बड़ी राशि होने के बावजूद वह इसे बाढ़ प्रभावितों पर खर्च क्यों नहीं कर पा रही है।
नियमों की जटिलता बनी बाधा
दरअसल, हर पांच साल बाद वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट में केंद्र व राज्य सरकारों को दो किस्तों में आपदा के लिए पैसा देने की सिफारिश करता है। यह राशि हर साल पांच प्रतिशत या उससे ज्यादा बढ़ाई भी जाती है। हालांकि, राज्य सरकारें इस पैसे को आपदा प्रबंधन के नियमों के तहत ही खर्च कर सकती हैं, जो बहुत पुराने हो चुके हैं और मौजूदा समय में अव्यावहारिक हैं। नियमों में बदलाव न होने के कारण राज्य सरकारें चाहकर भी इस पैसे को आपदा के दौरान ज्यादा खर्च नहीं कर पातीं। इसी कारण अधिकांश राशि बच जाती है और वह राज्य सरकार के अगले वर्ष के खाते में जुड़ जाती है। पंजाब के पास जो 12,000 करोड़ रुपये होने की बात कही जा रही है, वह राशि भी इसी तरह राज्य सरकार की ओर से खर्च न कर पाने से खाते में जुड़ती गई है।
केंद्र और राज्य के बीच संवाद की कमी
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में केंद्र सरकार को एसडीआरएफ के नियमों में बदलाव की मांग की है, लेकिन केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया है। यह केंद्र और राज्य के बीच संवाद की कमी को दर्शाता है, जिसका खामियाजा आपदा प्रभावितों को भुगतना पड़ रहा है। पहाड़ी राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों के लिए एसडीआरएफ में केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत पैसा डालती है। चूंकि इस पैसे को खर्च करने के नियम अव्यावहारिक हो चुके हैं, इसी कारण राज्य सरकार अपनी ओर से पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए पैसा देती है।
अव्यावहारिक मुआवजा राशि
तीन दिन पहले पंजाब कैबिनेट ने बाढ़ से फसल को हुए नुकसान के लिए किसानों को 20 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने की घोषणा की है। इससे पहले केवल 15,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते थे, जिसमें से केंद्र सरकार केवल 5,100 रुपये देती है। वर्तमान में जो नियम अव्यावहारिक माने जा रहे हैं, उनमें शामिल हैं:
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फसल बर्बाद होने पर मुआवजा: मात्र 6,800 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, जबकि मौजूदा समय में धान की फसल खराब होने की लागत 60 से 70 हजार रुपये प्रति एकड़ है।
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खेतों से मिट्टी हटाने के लिए: बाढ़ के कारण खेतों में मिट्टी आ गई है तो निकालने के लिए पांच एकड़ के लिए किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते हैं।
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पशुधन की हानि: दुधारू पशु (भैंस, गाय आदि) के मरने पर 37,500 रुपये देने का प्रावधान है, जबकि इस समय कोई भी अच्छा दुधारू पशु एक लाख से कम नहीं आता। भेड़ व बकरी के लिए चार हजार रुपये मिलते हैं।
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मकान की क्षति: पक्का मकान गिरने पर 1.20 लाख रुपये देने का प्रावधान है। पूरा न टूटे तो 65 हजार रुपये मिलेंगे। सारा सामान बह गया है तो 2,500 रुपये।
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सड़क मरम्मत: स्टेट हाईवे की सड़कें टूटने पर मरम्मत के लिए प्रति किमी एक लाख रुपये मिलते हैं। ग्रामीण सड़कों के लिए यह मात्र 65 हजार रुपये प्रति किलोमीटर दिए जाते हैं।
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पेयजल: पेयजल के लिए दो लाख रुपये प्रति योजना दिए जा सकते हैं।
पंजाब को वर्षवार एसडीआरएफ की सिफारिशित राशि:
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2022-23: 693 करोड़ रुपये
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2023-24: 728 करोड़ रुपये
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2024-25: 764 करोड़ रुपये
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2025-26: 803 करोड़ रुपये
यह स्पष्ट है कि एसडीआरएफ के पुराने और अव्यावहारिक नियम पंजाब जैसे राज्यों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं, खासकर जब वे प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते हैं। इन नियमों में तत्काल संशोधन की आवश्यकता है ताकि प्रभावितों को समय पर और पर्याप्त सहायता मिल सके।
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