शिमला। हिमाचल प्रदेश में मौजूदा मानसून सीजन के दौरान प्राकृतिक आपदा से हुई भीषण तबाही को देखते हुए, गुरुवार को विधानसभा में सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया।संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान द्वारा नियम 102 के तहत पेश किए गए इस प्रस्ताव पर सदन में विस्तृत चर्चा हुई।
चर्चा के बाद, हिमाचल प्रदेश की तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने इसकी पुरजोर सिफारिश की। हालांकि, इस दौरान विपक्ष ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी का बहिष्कार किया जब वह प्रस्ताव पर जवाब और सिफारिश कर रहे थे। विपक्षी विधायक नेगी के जवाब समाप्त होने तक नारेबाजी करते रहे, जिसके बाद वे अपनी सीटों पर आ गए और प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया।
भारी नुकसान और विशेष पैकेज की उम्मीद
इस प्राकृतिक आपदा से प्रदेश में अब तक 3500 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। राष्ट्रीय आपदा घोषित हो जाने पर केंद्र सरकार से विशेष राहत और सहायता पैकेज मिलने की संभावना बढ़ जाएगी, जिससे राज्य को इस भारी नुकसान से उबरने में मदद मिलेगी।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि आज हिमाचल ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के अधिकांश राज्य मानसून के दौरान आई आपदा को झेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला पिछले कुछ सालों से शुरू हुआ है, जो लगातार गंभीर होता जा रहा है।उन्होंने इन आपदाओं से बाहर निकलने के लिए लंबी अवधि की योजनाएं बनाने की बात कही।
विकास और पर्यावरण संतुलन पर जोर
विक्रमादित्य सिंह ने विकास के नाम पर पहाड़ों का “चीरहरण” रोकने का आह्वान किया और कहा कि इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ साल पहले सतलुज नदी पर बने कोल डैम के कारण शिमला की जलवायु ही बदल गई है। उन्होंने यह भी बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए ढली से रामपुर के लिए प्रस्तावित सड़क का अधिकांश हिस्सा सुरंग माध्यम से बनाने की केंद्र सरकार से मांग की जाएगी और इसे डीपीआर में भी शामिल किया जाएगा।
लोक निर्माण मंत्री ने स्वीकार किया कि प्रदेश में वर्ष 2023 में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए केंद्र सरकार का सहयोग मिला था।उन्होंने बताया कि इस साल फिर से आई प्राकृतिक आपदा से लोक निर्माण विभाग को अब तक 1444 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि 24 से 26 अगस्त के बीच हुई अतिवृष्टि के बाद मंडी से कमांद होकर कुल्लू जाने वाला मार्ग लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिलों के लिए लाइफ लाइन बन गया है, और इस मार्ग को ठीक करने के लिए सरकार ने छह करोड़ रुपये और दिए हैं। टीवी9 भारतवर्ष के अनुसार, भारी बारिश और भूस्खलन से कुल्लू से मनाली तक फोरलेन छह जगहों पर ध्वस्त हो गया है, जिससे एनएचएआई को 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है, जो 2023 की आपदा से चार गुना अधिक है।
उन्होंने यह भी कहा कि कुल्लू के लिए सड़क संपर्क बहाल होने तक सरकार कुल्लू घाटी से पंडोह डैम तक सेब की ढुलाई जलमार्ग से करने पर भी विचार कर रही है।]
ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नदी-नालों में ड्रेजिंग की तुरंत आवश्यकता बताई।[ उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर साल आ रही प्राकृतिक आपदाओं से नदियों और नालों के रिवर बेड की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है, जिसके कारण इन नदी-नालों का पानी किनारों पर बहकर नुकसान कर रहा है, क्योंकि ये नदी-नाले चौड़े हो गए हैं।[
वर्तमान में भी हिमाचल प्रदेश में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य जारी है और मणिमहेश में फंसे सभी श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाल लिया गया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने भी एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर स्थिति का जायजा लिया और आवश्यक सेवाओं की बहाली के निर्देश दिए।