बड़कोट। उत्तराखंड के चारधामों में से एक यमुनोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव स्यानाचट्टी में स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। यहां कुपड़ा गाड (गढ़ गाड) से रुक-रुककर आ रहे मलबे और पत्थरों के कारण यमुना नदी में फिर से झील बनने का खतरा मंडरा रहा है। यमुना नदी इस समय अपने पूरे उफान पर है, जिसका जलस्तर पुल से महज दो फीट नीचे बह रहा है, जबकि सामान्य दिनों में यह जलस्तर पुल से लगभग 10 फीट नीचे रहता है। नदी के इस विकराल रूप और झील बनने की आशंका ने स्थानीय निवासियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं।
सिंचाई विभाग स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय है और नदी के प्रवाह से मलबा हटाने के लिए मशीनों की मदद से रास्ता बनाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही, केंद्रीय जल आयोग की टीम भी यमुना नदी के जलस्तर की लगातार निगरानी कर रही है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल कदम उठाए जा सकें।
बीते गुरुवार की शाम करीब साढ़े चार बजे इसी तरह की स्थिति पैदा हो गई थी, जब यमुना का प्रवाह अवरुद्ध होने से एक बड़ी झील बन गई थी। इस झील के कारण स्यानाचट्टी के 19 होटल, दो आवासीय भवन, जीएमवीएन का गेस्ट हाउस और यहां तक कि पुलिस चौकी भी पूरी तरह से जलमग्न हो गई थी। उस दौरान आनन-फानन में लगभग 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर उनकी जान बचाई गई थी। यह घटना स्थानीय लोगों के जेहन में अभी भी ताजा है और वर्तमान स्थिति उनकी चिंताओं को बढ़ा रही है।
शुक्रवार रात को हुई मूसलधार वर्षा के कारण यमुना नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया था, जिससे नदी के प्रवाह में बाधक बना मलबा हट गया और अस्थायी रूप से बनी झील खुल गई थी, जिससे कुछ राहत मिली थी। हालांकि, यह राहत अल्पकालिक साबित हुई। रविवार सुबह यहां दोबारा झील बनने लगी और बीते रोज तो एक बार नदी का जलस्तर यमुनोत्री धाम को जोड़ने वाले पुल तक ही पहुंच गया था, जो खतरे का स्पष्ट संकेत था। सोमवार को भी नदी का जलस्तर पुल से केवल दो फीट नीचे बना रहा, जो लगातार ऊंचे स्तर पर है।
कुपड़ा गाड के मुहाने पर जमा मलबे और बड़े-बड़े बोल्डर को हटाने और नदी के प्रवाह को मोड़ने के लिए भी युद्धस्तर पर प्रयास जारी हैं। सिंचाई विभाग ने मलबे तक पहुंचने के लिए रास्ता बनाने हेतु तीन एक्सावेटर मशीनें लगाई हैं। अधिकारी जल्द से जल्द मलबा हटाने की उम्मीद जता रहे हैं, लेकिन कुपड़ा गाड में मलबा और पत्थरों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा है। कुपड़ा गाड से लगातार हो रहा भूस्खलन और मलबा आना ही यमुना में झील बनने के प्रमुख कारणों में से एक है, जिससे यह खतरा लगातार बना हुआ है।
एक तरफ जहां प्रशासन भूस्खलन और नदी के बढ़ते जलस्तर से निपटने के लिए जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रभावितों के लिए राहत कार्य भी जारी हैं। खाद्य पूर्ति विभाग की ओर से सामुदायिक किचन का संचालन किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ आपदा प्रभावितों के लिए भी भोजन आदि की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, प्रशासन ने झील बनने से प्रभावित लगभग 37 परिवारों को अहेतुक राशि का वितरण भी किया है, ताकि वे इस मुश्किल समय में कुछ सहायता प्राप्त कर सकें। स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और प्रशासन किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिए तैयार है, लेकिन प्रकृति के आगे सभी प्रयास सीमित प्रतीत हो रहे हैं।