देहरादून। दिल्ली में भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार से मुलाकात के बाद देहरादून लौटने पर हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के तेवर नरम दिखाई दे रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने त्रिवेंद्र सहित अन्य नेताओं को पार्टी लाइन पर चलने की हिदायत दी है।
डिफेंस कॉलोनी स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में त्रिवेंद्र रावत ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया, जिनमें दिल्ली में सांसदों के साथ हुई पार्टी संगठन की बैठक से उनके तुरंत चले जाने को नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा था। उन्होंने स्पष्ट किया कि “नाराजगी जैसी कोई बात नहीं थी। उन्हें कहीं जाना था, इसलिए तुरंत ही बैठक से चले गए थे।”
त्रिवेंद्र रावत ने राज्य सरकार में नेतृत्व में बदलाव की चर्चाओं को भी “हवा-हवाई” करार दिया और कहा कि “धामी सरकार पूरे पांच साल चलेगी। बार-बार मुख्यमंत्री बदलना या इसकी चर्चा करना गलत है।” उन्होंने विपक्ष कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया।
सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें हर जगह “छेद ढूंढना” ठीक नहीं है। खनन से जुड़े प्रश्न पर उन्होंने कहा कि “अगर सरकार नीति के तहत नीलामी के जरिए खनन पट्टे दे रही है तो इसमें बुराई क्या है।” एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि गैरसैंण को भाजपा ने ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। यह स्थायी राजधानी कब बनेगी, इसका जवाब सरकार बेहतर दे सकती है।
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के आरोपों पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह उनका पूरा इतिहास जानते हैं। उन्होंने टिप्पणी की कि “पांच-छह दिन से हरक सिंह काफी जोश में हैं। हो सकता है ये उनकी आंतरिक राजनीति का हिस्सा हो या कुछ और कारण हैं अथवा वह स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।” उन्होंने चंदे के मुद्दे पर हरक सिंह के बयानों का खंडन करते हुए कहा कि पूर्व में भाजपा ने संगठन चलाने के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ चेक से चंदा लिया था। उन्होंने हरक से पूछा कि अब वह बताएं कि इस पैसे का स्रोत क्या है।
विपक्ष कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस ने सदन में जो व्यवहार किया, वह उचित नहीं था। उनकी जानकारी में आया कि कार्यमंत्रणा समिति में पहले दिन आपदा का विषय विपक्ष की ओर से लाने पर सहमति बनी थी, लेकिन वे कानून व्यवस्था का मुद्दा लेकर आए। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर जवाब देती, लेकिन यह सब नियमों के तहत लाया जाना चाहिए था।
पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत के भांजे से जुड़े प्रकरण पर उन्होंने कहा कि “पुलिस का जो काम है, उसे करना चाहिए। यह गंभीर प्रकरण है।” उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस मामले में लापरवाह अधिकारियों को आड़े हाथ लेने की जरूरत है। उन्होंने नौकरशाही को भी नसीहत देते हुए कहा कि “नीतियों और निर्णयों का क्रियान्वयन शासन की जिम्मेदारी है। इसके लिए अधिकारियों को ठीक से काम करना चाहिए। जनता के प्रति उनकी जवाबदेही होनी चाहिए।”
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