नैनीताल। हाई कोर्ट में जिला पंचायत नैनीताल के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव से पहले पांच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण के मामले में स्वतः संज्ञान लेती याचिका पर सुनवाई हुई। कांग्रेस की ओर से भी चुनाव रद्द करने के लिए एक नई याचिका दाखिल की गई है। इन दोनों याचिकाओं पर मंगलवार को एक साथ सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने चुनाव के दिन पांच सदस्यों के अपहरण के मामले में पुलिस की लापरवाही और खुफिया एजेंसियों की विफलता को लेकर मौखिक रूप से तीखी टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने एसएसपी को पूरे मामले में मंगलवार को शपथपत्र दाखिल करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसएसपी से कई तीखे सवाल पूछे, विशेष रूप से यह कि कड़ी सुरक्षा के बावजूद हिस्ट्रीशीटर कैसे मौके पर पहुंच गए।
सुनवाई के दौरान, सरकार की ओर से हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का आगबबूला होकर आपत्तिजनक बात कहने का उल्लेख किया गया। वहीं, कांग्रेस की ओर से एक वीडियो पेश किया गया, जिसमें कथित तौर पर अपहरण के बाद वे युवक पार्टी करते हुए दिख रहे थे। इस वीडियो में युवक यह कहते सुने गए, “नैनीताल को हिला डाला, हमारा मिशन पूरा हो गया, उत्तराखंड को बिहार बना दिया।”
गायब सदस्यों के मामले में भी एसएसपी से जवाब तलब
कोर्ट ने गायब सदस्यों के मामले में भी एसएसपी से जवाब मांगा और पूछा कि उनकी सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) अब तक क्यों नहीं निकाली गई। अदालत ने यह भी सवाल किया कि जब गिरोह आया था, तो उसकी भनक पुलिस को क्यों नहीं लगी। अपहृत बताए गए जिला पंचायत के पांचों सदस्यों को भी कोर्ट में पेश किया गया, जिनसे कोर्ट ने कोई सवाल नहीं पूछे।
डीएम ने दी जानकारी, चुनाव रद्द करने की शक्ति आयोग के पास
कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने वर्चुअली बहस करते हुए कहा कि चुनाव में धनबल और बाहुबल का खुलेआम प्रयोग कर कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। जिलाधिकारी वंदना ने अदालत को बताया कि उन्होंने रात में ही राज्य निर्वाचन आयोग को दो रिमाइंडर भेजे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिला पंचायत नियमावली में जिला निर्वाचन अधिकारी को चुनाव रद्द करने की शक्ति नहीं है, इसलिए आयोग से परामर्श के बाद मतगणना कर अनंतिम परिणाम घोषित किया गया, जिसकी घोषणा फिलहाल रोकी गई है।
अब जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव परिणाम घोषित होगा या नहीं, इसको लेकर आयोग की ओर से कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। कोर्ट ने जिलाधिकारी को भी शपथपत्र पेश करने को कहा है। इस मामले में अब अदालत के लिखित और आधिकारिक निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।