शिमला:
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आश्रित परिवारों को एक बड़ी राहत दी है। सरकार ने लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करते हुए मौजूदा करुणा मूलक नियुक्ति नीति (Compassionate Employment Policy) में कई महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दे दी है। इन ऐतिहासिक बदलावों का मुख्य उद्देश्य मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अधिक मानवीय, समावेशी और समय पर सहायता प्रदान करना है।
नीति में किए गए प्रमुख संशोधन
एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि संशोधित नीति के अनुसार, अब करुणा मूलक नियुक्ति के लिए पारिवारिक वार्षिक आय की पात्रता सीमा को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है। इस वृद्धि से उम्मीद है कि नीति का दायरा बढ़ेगा और अधिक जरूरतमंद परिवार इसके अंतर्गत आ सकेंगे।
इसके अलावा, सबसे कमजोर वर्ग को प्राथमिकता देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब 45 वर्ष से कम आयु की विधवाओं, माता-पिता विहीन आवेदकों और अपनी आधिकारिक ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को करुणा के आधार पर नियुक्ति में वरीयता दी जाएगी। साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मौजूदा कोटे की सीमाओं के कारण कोई भी योग्य उम्मीदवार अवसरों से वंचित न रह जाए, राज्य मंत्रिमंडल ने आवश्यकता पड़ने पर करुणा मूलक नियुक्तियों पर 5 प्रतिशत की सीमा में एकमुश्त छूट (one-time relaxation) को भी मंजूरी दी है।
विधवाओं को मिलेगी तत्काल राहत
प्रवक्ता ने कहा कि 45 वर्ष से कम आयु की विधवाओं को अपने पति के असामयिक निधन के बाद अचानक अपने परिवार के प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। ऐसी संकटपूर्ण परिस्थितियों में, उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा और परिवार के बुजुर्ग सदस्यों की देखभाल के लिए तत्काल नैतिक और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। यह नीतिगत संशोधन उन्हें समय पर सहायता और स्थिरता प्रदान करने का एक प्रयास है।
नीति की पृष्ठभूमि और समीक्षा प्रक्रिया
करुणा मूलक नियुक्ति नीति मूल रूप से 18 जनवरी, 1990 को बनाई गई थी। इसका उद्देश्य सेवा के दौरान मरने वाले (आत्महत्या सहित) सरकारी कर्मचारी के एक आश्रित को रोजगार प्रदान करना था, ताकि परिवार को निराश्रित होने से बचाया जा सके। नीति के अनुसार, नियुक्ति का लाभ मृतक कर्मचारी की विधवा, पुत्र या अविवाहित पुत्री को दिया जाता है। अविवाहित कर्मचारी के मामले में, यह लाभ पिता, माता, भाई या अविवाहित बहन को मिलता है।
इस नीति की व्यापक समीक्षा करने और बदलावों की सिफारिश करने के लिए शिक्षा मंत्री श्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया था, जिसमें तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री राजेश धर्माणी और आयुष मंत्री श्री यादविंदर गोमा सदस्य के रूप में शामिल थे। समिति ने चार बैठकें कीं और अपनी विस्तृत सिफारिशें प्रस्तुत कीं, जिन्हें अब सरकार ने स्वीकार कर लिया है। इन संशोधनों से उम्मीद है कि करुणा मूलक नियुक्ति नीति शोक संतप्त परिवारों की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील बनेगी और सामाजिक एवं कर्मचारी कल्याण के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगी।
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