शिमला: गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए एक बड़ा और विवादास्पद फैसला लिया है। प्रदेश में 25 साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से सरकारी लॉटरी शुरू की जाएगी। इस कदम से सरकार को सालाना 50 से 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है, जिसका उपयोग प्रदेश की डांवाडोल वित्तीय स्थिति को सुधारने में किया जाएगा।
टेंडर प्रक्रिया से होगा संचालन, धूमल सरकार ने लगाई थी रोक
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि लॉटरी का संचालन पूरी पारदर्शिता के साथ टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए पंजाब और केरल जैसे राज्यों के सफल मॉडल का अध्ययन किया जाएगा और उसी तर्ज पर इसे हिमाचल में लागू किया जाएगा।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में लॉटरी पर प्रतिबंध का एक लंबा इतिहास रहा है। वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने सामाजिक कारणों का हवाला देते हुए राज्य में लॉटरी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद, वर्ष 2004 में वीरभद्र सिंह की सरकार ने भी प्रदेश में बिक रही मणिपुर और भूटान की लॉटरी टिकटों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। अब 25 साल बाद कांग्रेस सरकार ने राजस्व की जरूरत को देखते हुए इस प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया है।
देश के कई राज्यों में जारी है लॉटरी
देश के कई राज्यों में लॉटरी का संचालन कानूनी है और यह उनके राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। इन राज्यों में केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, सिक्किम, नगालैंड और गोवा समेत पूर्वोत्तर के कई राज्य शामिल हैं, जबकि कई अन्य राज्यों में इस पर प्रतिबंध लागू है।
HRTC बसों में अब बाहरी राज्यों की महिलाओं को नहीं मिलेगी छूट
लॉटरी के अलावा, मंत्रिमंडल की बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया, जो हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) की बसों में यात्रा करने वाली महिलाओं से जुड़ा है। अब बस किराए में 50 प्रतिशत की छूट का लाभ केवल हिमाचल प्रदेश की स्थायी निवासी महिलाओं को ही मिलेगा। अन्य राज्यों की महिलाओं को यह छूट नहीं दी जाएगी और लाभ लेने के लिए महिला यात्री को अपना पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य होगा, जिससे उनके हिमाचली होने की पुष्टि हो सके।
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