रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन के कारण केदारनाथ यात्रा लगातार तीसरे दिन भी बाधित रही। गौरीकुंड हाईवे पर सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मुनकटिया के पास हुए भारी भूस्खलन से सड़क का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो गया है, जिसके चलते प्रशासन ने सोनप्रयाग से आगे किसी भी यात्री को जाने की अनुमति नहीं दी है। वहीं, केदारनाथ धाम के दर्शन कर लौट रहे 1100 से अधिक यात्रियों को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने जान जोखिम में डालकर जंगल की खतरनाक पगडंडियों के रास्ते सुरक्षित सोनप्रयाग पहुंचाया।
70 मीटर सड़क तबाह, मलबा हटाने में भारी चुनौती
केदारनाथ हाईवे बुधवार को मुनकटिया के पास भारी मात्रा में मलबा आने और बोल्डर गिरने से अवरुद्ध हो गया था। यहां सड़क का लगभग 70 मीटर हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग लोक निर्माण खंड (एनएच लोनिवि) द्वारा पाकलैंड और जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा और बोल्डर हटाने का काम युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन पहाड़ी से लगातार गिर रहे पत्थर इस काम में भारी बाधा डाल रहे हैं।
एनएच लोनिवि के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडेय ने बताया कि सभी अधिकारी मौके पर मौजूद हैं, लेकिन मलबे की मात्रा बहुत अधिक है और पहाड़ी से भी लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे सड़क खोलने में समय लग रहा है।
NDRF और SDRF का सघन रेस्क्यू अभियान
एक ओर जहां हाईवे खोलने की जद्दोजहद जारी है, वहीं दूसरी ओर केदारनाथ से लौट रहे यात्रियों को निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस का संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है। सुरक्षा जवानों ने गौरीकुंड से मुनकटिया के ऊपर पहाड़ी पर एक वैकल्पिक और बेहद जोखिम भरी पगडंडी तैयार की है। इसी रास्ते से सुरक्षा जवान यात्रियों को एक-एक करके सुरक्षित सोनप्रयाग पहुंचा रहे हैं।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार के अनुसार, रेस्क्यू अभियान के तीसरे दिन 1100 से अधिक यात्रियों को सुरक्षित सोनप्रयाग लाया गया। इससे एक दिन पहले भी 2179 यात्रियों का सफल रेस्क्यू किया गया था।
सोनप्रयाग में फंसे 5000 से ज्यादा यात्री
इस भूस्खलन के कारण सोनप्रयाग और आसपास के इलाकों में पांच हजार से अधिक यात्री फंसे हुए हैं। ये सभी यात्री सड़क के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से उन्हें आगे जाने से रोक दिया है। प्रशासन का कहना है कि जब तक रास्ता पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो जाता, तब तक यात्रा को सुचारू करना संभव नहीं होगा।