Bangladesh: बांग्लादेश में सियासी रैली में भिड़े दो गुट, पत्रकारों समेत 35 घायल

ढाका: बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार शाम को देश के कोमिला शहर में एक विरोध रैली के दौरान दो राजनीतिक गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। इस टकराव में पांच पत्रकारों सहित कम से कम 35 लोग घायल हो गए, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

क्यों और कैसे हुई यह हिंसक झड़प?

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना उस समय घटी जब छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने एक विरोध रैली का आयोजन किया था। यह रैली अंतरिम सरकार में शामिल एक स्थानीय सलाहकार आसिफ महमूद के खिलाफ कथित तौर पर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार के विरोध में निकाली गई थी। इसी दौरान, रैली का सामना पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के समर्थकों से हो गया।

देखते ही देखते दोनों गुटों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई, जो जल्द ही एक हिंसक टकराव में बदल गई। दोनों ओर से समर्थकों ने एक-दूसरे पर ईंट और पत्थर फेंकने शुरू कर दिए, जिससे भगदड़ मच गई। इस पत्थरबाजी की चपेट में आकर रैली को कवर कर रहे पांच पत्रकार भी घायल हो गए। मौके पर मौजूद सुरक्षा बलों को स्थिति को नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

अंतरिम सरकार पर बढ़ता दबाव

यह झड़प बांग्लादेश में चल रहे व्यापक राजनीतिक संकट का एक छोटा सा उदाहरण मात्र है। एक ओर जहां सड़कों पर हिंसा हो रही है, वहीं दूसरी ओर देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां भी अंतरिम सरकार पर लगातार हमले कर रही हैं। अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने मोहम्मद यूनुस सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

अवामी लीग ने देश की जेलों में कैदियों को दी जा रही कथित यातना और हत्या की घटनाओं की कड़ी निंदा की है। पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा है कि यूनुस सरकार अपनी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके जेलों में “पूर्व नियोजित हत्याएं” करवा रही है। ये आरोप देश के राजनीतिक माहौल में और अधिक कड़वाहट घोल रहे हैं और अंतरिम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।

कुल मिलाकर, यह घटनाएं दर्शाती हैं कि बांग्लादेश एक बेहद नाजुक और तनावपूर्ण राजनीतिक दौर से गुजर रहा है, जहां पुरानी राजनीतिक रंजिशें नई सरकार के लिए गंभीर संकट पैदा कर रही हैं।

 

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