चंडीगढ़:
पंजाब में नशे की गंभीर समस्या से निपटने के लिए भगवंत मान सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 1 अगस्त से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए नशे से बचाव पर आधारित एक वैज्ञानिक पाठ्यक्रम अनिवार्य कर दिया गया है। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को नशे के खतरों के प्रति जागरूक कर इसकी मांग को जड़ से खत्म करना है।
नोबेल विजेता की टीम ने तैयार किया पाठ्यक्रम
इस पाठ्यक्रम को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी की टीम द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किया गया है, जिसे देशभर के वैज्ञानिकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने भी सराहा है। 27 हफ्तों तक चलने वाले इस कोर्स में हर पंद्रहवें दिन 35 मिनट की एक विशेष कक्षा आयोजित की जाएगी। इसका लक्ष्य छात्रों को यह सिखाना है कि नशे के दबाव को ‘न’ कैसे कहें और सोच-समझकर अपने निर्णय कैसे लें। इस कार्यक्रम के तहत 3,658 सरकारी स्कूलों के लगभग 8 लाख छात्र-छात्राओं को कवर किया जाएगा, जिन्हें पढ़ाने के लिए 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। पाठ्यक्रम में फिल्मों, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर और इंटरैक्टिव गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के मन में नशे को लेकर मौजूद भ्रम को दूर किया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट के नतीजे रहे उत्साहजनक
इस राष्ट्रव्यापी पाठ्यक्रम को लागू करने से पहले अमृतसर और तरनतारन के 78 स्कूलों में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया था, जिसके परिणाम बेहद उत्साहजनक रहे। इस प्रोजेक्ट में शामिल 9,600 बच्चों में से 90% ने यह माना कि चिट्टा जैसे नशीले पदार्थ का एक बार सेवन भी लत का कारण बन सकता है। वहीं, पहले जहां 50% छात्र मानते थे कि केवल इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है, यह आंकड़ा अब घटकर 20% रह गया है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सही शिक्षा युवाओं की सोच में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।
सप्लाई पर सख्ती, डिमांड पर समझदारी
राज्य सरकार के अनुसार, यह शैक्षणिक पहल नशे के खिलाफ उनकी दोहरी रणनीति का हिस्सा है। एक तरफ जहां नशे की मांग को कम करने के लिए बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सप्लाई चेन पर भी लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है। सरकार द्वारा मार्च 2025 से शुरू किए गए ‘युद्ध नशे विरुद्ध’ अभियान के तहत अब तक 23,000 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है, 1,000 किलोग्राम से अधिक हेरोइन जब्त की गई है और करोड़ों की संपत्तियां भी जब्त की गई हैं।
सरकार का मानना है कि केवल दंडात्मक कार्रवाई से इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि असली बदलाव तभी आएगा जब युवा खुद नशे से दूर रहने का फैसला करेंगे। भगवंत मान सरकार का यह कदम पंजाब को नशामुक्त बनाने की दिशा में एक दूरगामी और महत्वपूर्ण निवेश माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य आने वाली पीढ़ियों को इस सामाजिक बुराई से बचाना है।
Pls read:Punjab: पंजाब में कैंसर के खिलाफ महाअभियान- WHO के सहयोग से 3 जिलों में शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट