चंडीगढ़:
पंजाब में कैंसर के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए एक अभूतपूर्व और जन-केंद्रित पहल की गई है। पंजाब सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भारत के साथ मिलकर बठिंडा, एसएएस नगर (मोहाली) और गुरदासपुर जिलों में एक व्यापक ‘कैंसर केयर पायलट प्रोजेक्ट’ शुरू किया है। इस परिवर्तनकारी परियोजना का शुभारंभ पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह और भारत में WHO के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन ने संयुक्त रूप से किया, जो राज्य में कैंसर देखभाल को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इस अग्रणी पहल का उद्देश्य मुंह, स्तन और सर्वाइकल कैंसर—जो भारत में सबसे आम और रोकथाम योग्य कैंसर हैं—की शुरुआती पहचान, समय पर निदान और त्वरित उपचार को एक विकेंद्रीकृत, प्रणाली-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से बढ़ाना है। यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (NP-NCD) के साथ रणनीतिक रूप से जुड़ा हुआ है। इसका लक्ष्य कैंसर देखभाल को जमीनी स्तर पर आयुष्मान आरोग्य केंद्रों से लेकर उन्नत तृतीयक देखभाल अस्पतालों तक, पंजाब की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों पर एकीकृत करना है। यह तालमेल उस मौजूदा प्रवृत्ति को उलटने का प्रयास करेगा, जहां पंजाब में 60% से अधिक कैंसर के मामलों का निदान उन्नत चरणों में होता है, जिससे प्रभावी हस्तक्षेप की गुंजाइश सीमित हो जाती है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने जोर देकर कहा, “कैंसर का मतलब मौत नहीं है—अगर समय पर इसका पता चल जाए तो यह पूरी तरह से इलाज योग्य है। शुरुआती पहचान ही कैंसर देखभाल की आधारशिला है। यह पहल स्वास्थ्य को एक मौलिक अधिकार मानने और सभी के लिए एक लचीली स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के हमारे संकल्प का प्रतिबिंब है।” उन्होंने बढ़ती कैंसर की घटनाओं के लिए अस्वस्थ जीवनशैली और खराब खान-पान की आदतों को भी जिम्मेदार ठहराया और नागरिकों को स्वस्थ दिनचर्या अपनाने की सलाह दी।
भारत में WHO के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन ने पंजाब के सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि ‘मिशन उम्मीद’ अपने व्यापक एक्शन प्लान के साथ देश में कैंसर देखभाल में एक अग्रणी के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों को बनाए रखते हुए, पंजाब 2030 तक सतत विकास लक्ष्य-3 (SDG-3) के गैर-संचारी रोग लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर है। उन्होंने कहा, “WHO इस महत्वपूर्ण पहल में भागीदार होने पर गर्व महसूस करता है और इस मॉडल को पूरे भारत में एक सफल उदाहरण बनाने के लिए अपना पूरा तकनीकी समर्थन जारी रखेगा।”
यह पायलट प्रोजेक्ट एक मजबूत त्रि-स्तरीय रेफरल मॉडल पर आधारित है और इसमें 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की सार्वभौमिक स्क्रीनिंग, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और क्लिनिकल स्टाफ की क्षमता-निर्माण, डिजिटल निगरानी और आशा व सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नेतृत्व में गहन सामुदायिक जागरूकता अभियान जैसे कई हस्तक्षेप शामिल हैं।
इस अवसर पर डॉ. बलबीर सिंह ने अद्यतन ‘मानक उपचार दिशानिर्देश’ (Standard Treatment Guidelines – STGs) भी जारी किए, जो राज्य भर में उच्च गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप प्रदान करते हैं।
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