Punjab: पंजाब का हर किसान औसतन 2.77 लाख रुपये का कर्जदार, देश में सबसे ऊपर

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों ने पंजाब के किसानों की गंभीर वित्तीय स्थिति को उजागर किया है। इन आंकड़ों के अनुसार, प्रति किसान औसत कर्ज के मामले में पंजाब देश में पहले स्थान पर है, जहाँ हर किसान पर औसतन 2.77 लाख रुपये का कर्ज है। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब पंजाब के किसान संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कर्ज माफी जैसी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं।

वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा एक सवाल के जवाब में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 17.62 करोड़ किसान खाताधारकों पर कुल 28,50,779 करोड़ रुपये का कृषि ऋण है। कुल कर्ज की राशि के मामले में तमिलनाडु सबसे आगे है, लेकिन जब प्रति किसान कर्ज का औसत निकाला जाता है, तो पंजाब की स्थिति सबसे चिंताजनक है।

आंकड़े बताते हैं कि पंजाब में 37.62 लाख किसान खाताधारकों पर 1,04,353 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसकी तुलना में, पड़ोसी राज्य हरियाणा में 38.52 लाख किसान हैं, जिन पर 99,026 करोड़ रुपये का कर्ज है। यह दर्शाता है कि हरियाणा में किसानों की संख्या अधिक होने के बावजूद, पंजाब के किसानों पर कुल कर्ज का बोझ ज्यादा है। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि देश का महज 2 फीसदी क्षेत्रफल होने के बावजूद पंजाब के किसान कर्ज के सबसे बड़े बोझ तले दबे हुए हैं।

प्रति किसान औसत कर्ज (शीर्ष राज्य):

  1. पंजाब: 2.77 लाख रुपये

  2. गुजरात: 2.58 लाख रुपये

  3. हरियाणा: 2.57 लाख रुपये

  4. आंध्र प्रदेश: 2.16 लाख रुपये

  5. तेलंगाना: 1.93 लाख रुपये

  6. महाराष्ट्र: 1.80 लाख रुपये

  7. राजस्थान: 1.76 लाख रुपये

  8. मध्य प्रदेश: 1.73 लाख रुपये

  9. केरल: 1.72 लाख रुपये

  10. तमिलनाडु: 1.59 लाख रुपये

  11. कर्नाटक: 1.54 लाख रुपये

  12. उत्तर प्रदेश: 1.27 लाख रुपये

किसानों की कर्ज माफी की मांग पर केंद्रीय राज्य मंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि सरकार के पास किसानों का कर्ज माफ करने का कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनावों में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था और सरकार बनने के बाद सरकारी बैंकों से लिए गए कृषि ऋण में से एक लाख रुपये तक की कर्ज माफी की थी। इन ताजा आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि किसानों की कर्ज माफी की मांग के पीछे एक गहरी वित्तीय संकट की कहानी है, जो शंभू और खनौरी बॉर्डर पर हुए लंबे आंदोलन का मुख्य आधार रही।

 

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