लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के इतिहास में लगातार सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री के पद पर सेवा देने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है। 19 मार्च, 2017 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने आठ वर्ष और 132 दिनों का कार्यकाल पूरा कर यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस मील के पत्थर के साथ, उन्होंने न केवल 72 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा है, बल्कि प्रदेश के कई दिग्गज राजनीतिक हस्तियों को भी पीछे छोड़ दिया है।
टूटा दशकों पुराना रिकॉर्ड
इस उपलब्धि के साथ योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत के कुल आठ वर्ष और 127 दिन के कार्यकाल के रिकॉर्ड को भी पार कर लिया है। अब वह प्रदेश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं। अपने इस सफर में उन्होंने स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव जैसे कद्दावर नेताओं के कार्यकाल को भी पीछे छोड़ा है। यह कीर्तिमान इसलिए भी विशेष है क्योंकि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने पांच साल का अपना पूर्ण कार्यकाल समाप्त करने के बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। हाल ही में उन्होंने लगातार आठवीं बार विधान भवन की प्राचीर पर ध्वजारोहण कर एक और रिकॉर्ड बनाया था।
प्रशासनिक छवि और “नए उत्तर प्रदेश” की संकल्पना
अपने इस लंबे कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सख्त प्रशासक के रूप में अपनी पहचान बनाई है। उनके नेतृत्व में कानून-व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, जिससे प्रदेश को निवेश और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक अनुकूल माहौल मिला। “एक जिला, एक उत्पाद” (ODOP) जैसी योजनाओं और भव्य ‘इन्वेस्टर्स समिट’ के माध्यम से उत्तर प्रदेश को एक औद्योगिक शक्ति के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया गया है। उनके शासनकाल में प्रदेश को एक “नए उत्तर प्रदेश” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो अब अव्यवस्था और अस्थिरता से निकलकर विकास और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
गोरखपुर के सांसद से मुख्यमंत्री तक का सफर
योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक सफर भी बेहद प्रभावशाली रहा है। उन्होंने মাত্র 26 वर्ष की उम्र में 1998 में गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी और उस समय वह देश के सबसे युवा सांसदों में से एक थे। इसके बाद वह गोरखपुर से लगातार पांच बार सांसद चुने गए। राजनीति के साथ-साथ, वह गोरखनाथ मठ के महंत के रूप में अपनी आध्यात्मिक जिम्मेदारियां भी निभाते रहे हैं। 2014 में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद उन्होंने यह पदभार संभाला। 2017 में भारतीय जनता पार्टी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश के 22वें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया, और तब से वह लगातार इस पद पर आसीन हैं। उनका यह ऐतिहासिक कार्यकाल उनकी प्रशासनिक क्षमता और जनता के विश्वास का प्रतीक माना जा रहा है।