नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का छठा दिन भी हंगामे और गतिरोध की भेंट चढ़ गया। लोकसभा में आज पहलगाम आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे पर 16 घंटे की लंबी चर्चा होनी थी, लेकिन विपक्षी सांसदों के भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बाधित हो गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई, विपक्षी सांसद नारेबाजी करने लगे और सदन के वेल में आकर हंगामा करने लगे। इस नियोजित हंगामे के कारण प्रश्नकाल भी नहीं चल सका, जिससे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला తీవ్ర नाराज हो गए। उन्होंने विपक्ष पर सदन का समय बर्बाद करने और महत्वपूर्ण चर्चाओं को जानबूझकर बाधित करने का आरोप लगाया।
स्पीकर ओम बिड़ला ने जताई कड़ी नाराजगी
विपक्ष के व्यवहार से क्षुब्ध होकर स्पीकर ओम बिड़ला ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का नाम लेते हुए कहा, “मिस्टर गोगोई, आप और अन्य राजनीतिक दलों के लोग मेरे पास आए थे और आपने ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा की मांग की थी। अब जब चर्चा का समय आया है, तो आप ही सदन को बाधित कर रहे हैं। देश जानना चाहता है कि आप प्रश्नकाल क्यों नहीं चलने देना चाहते?”
बिड़ला ने आगे कहा कि आज शिक्षा, पर्यावरण, विधि और श्रम जैसे 10 महत्वपूर्ण मंत्रालयों से जुड़े प्रश्न पूछे जाने थे, जो सीधे तौर पर जनता से जुड़े हैं। उन्होंने विपक्ष पर नियोजित तरीके से सदन की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से पूछे तीखे सवाल
स्पीकर ने सीधे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को संबोधित करते हुए कड़े शब्दों में कहा, “माननीय प्रतिपक्ष के नेता, अपने दल के नेताओं को समझाइए। उन्हें सदन में पर्चे फेंकने और तख्तियां लाने के लिए नहीं भेजा गया है। आप जवाब दें, देश जानना चाहता है कि आप प्रश्नकाल क्यों स्थगित कराना चाहते हैं?” उन्होंने विपक्ष को सदन की मर्यादा बनाए रखने की नसीहत देते हुए कहा, “आप नियोजित तरीके से सदन को बाधित करते हैं, संसद की मर्यादा और गरिमा को गिराते हैं। यह तरीका उचित नहीं है।”
सरकार ने लगाया चर्चा से भागने का आरोप
सदन स्थगित होने के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “हम सब चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चर्चा की शुरुआत करने वाले थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होने वाले थे। लेकिन चर्चा शुरू होने से ठीक 10 मिनट पहले विपक्ष ने एक नई शर्त रख दी। वे चाहते थे कि सरकार पहले एक अन्य मुद्दे पर चर्चा के लिए समय-सीमा तय करे। यह चर्चा को पटरी से उतारने की एक सोची-समझी रणनीति थी।”
इस पूरे घटनाक्रम ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ते अविश्वास और टकराव को एक बार फिर उजागर कर दिया है, जिससे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सार्थक बहस की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं।
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