देहरादून।
उत्तराखंड में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कड़े निर्देशों के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली को और अधिक जवाबदेह और मरीज-केंद्रित बनाने के लिए कमर कस ली है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सोमवार को सचिवालय में सभी 13 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (CMO) और प्रमुख चिकित्सा अधीक्षकों (CMS) के साथ एक समीक्षा बैठक में स्पष्ट अल्टीमेटम दिया कि लापरवाही पर सख्त कार्रवाई होगी।
रेफरल पर जवाबदेही तय, हर मामले में देना होगा ठोस कारण
बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने अस्पतालों से मरीजों को अनावश्यक रूप से रेफर करने की प्रवृत्ति पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए निर्देश दिया कि अब हर रेफरल की जिम्मेदारी संबंधित सीएमएस की होगी। किसी भी मरीज को रेफर करने से पहले एक ठोस और वैध कारण देना होगा और उस पर सीएमएस की काउंटर-साइनिंग अनिवार्य होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया या कारण अपर्याप्त पाया गया, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य सचिव ने महानिदेशक को पूरे प्रदेश में एक समान रेफरल प्रक्रिया के लिए एक स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने के भी निर्देश दिए।
एंबुलेंस न मिलने पर स्थानीय स्तर पर होगी वैकल्पिक व्यवस्था
आपातकालीन सेवाओं की समीक्षा करते हुए डॉ. आर. राजेश कुमार ने निर्देश दिया कि यदि किसी मरीज को समय पर 108 या विभागीय एंबुलेंस सेवा नहीं मिल पाती है, तो उसकी जान बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सीएमओ और सीएमएस की यह जिम्मेदारी होगी कि वे अन्य सरकारी संसाधनों का उपयोग कर मरीज को उच्च चिकित्सा सुविधा तक पहुंचाने के लिए तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था करें। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता मरीज की जान है, न कि प्रक्रिया की जटिलता।” इसके लिए स्थानीय स्तर पर एक एंबुलेंस नेटवर्क और संसाधन सूची पहले से तैयार रखने के भी निर्देश दिए गए।
मृतकों के परिजनों को मिलेगी राहत, शव पहुंचाने की होगी जिम्मेदारी
स्वास्थ्य सचिव ने एक और गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि कई बार मृत्यु के बाद परिजनों को शव घर ले जाने में भारी परेशानी होती है, खासकर जब मोर्चरी वाहन उपलब्ध नहीं होता। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसी स्थिति में संबंधित अस्पताल प्रशासन या सीएमओ स्वयं संसाधन जुटाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि शव को सम्मानपूर्वक परिजनों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा, “एक दुखी परिवार को और कष्ट न झेलना पड़े, यह हमारी नैतिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी है।”
ड्यूटी ज्वाइन न करने वाले डॉक्टरों पर गिरेगी गाज
स्वास्थ्य सचिव ने बैठक में साफ कर दिया कि जिन डॉक्टरों को पोस्ट-पीजी ट्रेनिंग के बाद 13 जून को स्थानांतरण आदेश जारी किए गए थे और उन्होंने अब तक अपना कार्यभार ग्रहण नहीं किया है, उन्हें तत्काल कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेवा शर्तों की अवहेलना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और आवश्यकतानुसार संबंधित डॉक्टरों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
इस महत्वपूर्ण बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक सुनीता टम्टा सहित विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे, जिससे यह स्पष्ट है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर बेहद गंभीर है।