चंडीगढ़। पंजाब सरकार की नई लैंड पूलिंग नीति को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव तेज हो गया है। वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस नीति का पुरजोर बचाव किया और विपक्षी दलों पर किसानों को जानबूझकर गुमराह करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार की यह नीति राज्य में योजनाबद्ध विकास के लिए है और पिछली सरकारों की तरह अवैध कॉलोनियों के जाल को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
वित्त मंत्री का यह बयान संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा आयोजित उस सर्वदलीय बैठक के ठीक बाद आया, जिसमें सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में इस नीति का विरोध किया था। चीमा ने इस बैठक में ‘आप’ के किसी भी सदस्य के शामिल न होने का जिक्र करते हुए कहा कि यह इस मुद्दे पर उनकी गंभीरता को दर्शाता है, जबकि विपक्षी दल केवल राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “किसानों को गुमराह करने की यह कोशिश सफल नहीं होगी।”
क्यों पड़ी लैंड पूलिंग नीति की जरूरत?
हरपाल सिंह चीमा ने नीति का समर्थन करते हुए पिछली सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों के दौरान राज्य में अवैध कॉलोनियों का निर्माण बड़े पैमाने पर हुआ। बिल्डरों और कॉलोनाइजरों ने किसानों से सस्ते दामों पर लगभग 30 हजार एकड़ जमीन खरीदी और बिना किसी योजना के छोटे-छोटे प्लॉट बेच दिए। इन अवैध कॉलोनियों में सड़कों, सीवरेज, पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव था, जिससे वहां रहने वाले लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार ने इसी अव्यवस्था को खत्म करने और सुनियोजित तरीके से आवासीय कॉलोनियों का निर्माण करने के लिए लैंड पूलिंग नीति लागू की है।
किसानों को क्या मिलेगा?
वित्त मंत्री ने नीति के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और किसी भी किसान पर जमीन देने के लिए कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि जो किसान अपनी इच्छा से इस नीति के तहत सरकार को जमीन देंगे, उन्हें इसके बदले में बड़ा लाभ मिलेगा।
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जमीन देने वाले किसानों को विकास कार्य पूरा होने के बाद प्रति एकड़ एक हजार गज का रिहायशी प्लॉट और दो सौ गज का व्यावसायिक प्लॉट दिया जाएगा।
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चीमा ने यह भी आश्वासन दिया कि यदि सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन के विकास में किसी कारणवश समय लगता है, तो संबंधित किसान को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से वार्षिक मुआवजा भी दिया जाएगा।
उन्होंने अंत में कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य विकसित कॉलोनियों का निर्माण करना है ताकि पंजाब के लोगों को सभी बुनियादी सुविधाएं मिल सकें और राज्य का शहरी विकास एक सुनियोजित तरीके से हो सके।
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