Himachal: लाहौल-स्पीति में बर्फबारी, मैदानी इलाकों में भारी बारिश का अलर्ट, अब तक 1221 करोड़ का नुकसान, 112 लोगों की मौत

शिमला। हिमाचल प्रदेश में मौसम के दो अलग-अलग और हैरान करने वाले रंग देखने को मिल रहे हैं। एक ओर जहां ऊंचाई वाले जनजातीय इलाकों में जुलाई के महीने में बर्फबारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर मैदानी और मध्य क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश और भूस्खलन ने तबाही मचा रखी है। शुक्रवार को लाहौल-स्पीति जिले के शिंकुला, बारालाचा और तंगलंगला दर्रों पर ताजा हिमपात हुआ। यह इस महीने में तीसरी बार हुई बर्फबारी है, इससे पहले जुलाई के पहले और दूसरे सप्ताह में भी यहां हल्का हिमपात दर्ज किया गया था।

वहीं, दूसरी तरफ मंडी, शिमला सहित प्रदेश के कई हिस्सों में भारी वर्षा का दौर जारी है। इस भारी बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश भर में 250 सड़कें यातायात के लिए बाधित हैं। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 182 सड़कें बंद हैं। इसके अलावा सिरमौर में 26, कुल्लू में 23, कांगड़ा में 10, सोलन में छह, ऊना में तीन और चंबा में दो सड़कें बंद हैं। सड़कों के साथ-साथ पेयजल योजनाओं पर भी भारी असर पड़ा है और राज्य में 137 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं, जिनमें से 113 अकेले मंडी जिले में हैं।

आने वाले दिनों में भारी बारिश की चेतावनी

मौसम विभाग ने आने वाले दिनों के लिए भी चेतावनी जारी की है। विभाग के अनुसार, 21, 22 और 23 जुलाई को कांगड़ा, मंडी, सोलन, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। इस दौरान कुछ स्थानों पर अचानक बाढ़ आने की चेतावनी (Flash Flood Alert) भी जारी की गई है। हालांकि, 19 और 20 जुलाई को मानसून कुछ कमजोर रहेगा और प्रदेश में कुछ ही स्थानों पर वर्षा होने का अनुमान है, जबकि अधिकतर स्थानों पर मौसम साफ रह सकता है।

अब तक 1221 करोड़ का नुकसान, 112 लोगों की मौत

प्रदेश में मानसून की इस बारिश से अब तक 1221 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है। इसमें सबसे अधिक 546 करोड़ रुपये का नुकसान लोक निर्माण विभाग को और 434 करोड़ रुपये का नुकसान जलशक्ति विभाग को हुआ है। वहीं, बागबानी और कृषि क्षेत्र को भी 40 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

यह आपदा मानवीय त्रासदी भी लेकर आई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, 20 जून को मानसून की शुरुआत से लेकर 17 जुलाई तक राज्य में विभिन्न हादसों में 112 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 67 लोगों की मौत बारिश और भूस्खलन से जुड़ी घटनाओं में हुई, जबकि 45 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में गई।

 

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