Uttarakhand: अटकी जलविद्युत परियोजनाओं को मिलेगी गति, सीएम धामी ने केंद्रीय मंत्री से की 5 प्रोजेक्ट को मंजूरी देने की मांग

नई दिल्ली। उत्तराखंड के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण, लेकिन लंबे समय से अटकी हुई जल विद्युत परियोजनाओं को फिर से शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार देर शाम नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल से भेंट की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य राज्य में अटकी हुई पांच प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी हासिल करना था, ताकि प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास को गति दी जा सके। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को इस मामले में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला लंबे समय से लंबित है और राज्य की ऊर्जा तथा आर्थिक नीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। दरअसल, ये पांच परियोजनाएं उन 21 जल विद्युत परियोजनाओं का हिस्सा हैं, जिनकी संस्तुति सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में गठित एक विशेषज्ञ समिति ने की थी। उत्तराखंड में 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद पर्यावरणीय चिंताओं और पारिस्थितिक संतुलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंगा और उसकी सहायक नदियों पर कई जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर रोक लगा दी थी।

इसके बाद, इन परियोजनाओं के भविष्य को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच लगातार संवाद होता रहा। एक विशेषज्ञ समिति ने सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद 21 परियोजनाओं को आगे बढ़ाने की सिफारिश की थी। मुख्यमंत्री धामी ने इसी सिफारिश का हवाला देते हुए फिलहाल पांच चिन्हित परियोजनाओं पर काम शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।

क्यों महत्वपूर्ण हैं ये परियोजनाएं?

मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री के समक्ष तर्क रखा कि ये परियोजनाएं न केवल राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह प्रदेश के लिए राजस्व का एक बड़ा स्रोत भी बनेंगी। इनके निर्माण से स्थानीय स्तर पर हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे और पहाड़ी क्षेत्रों से होने वाले पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं का क्रियान्वयन राज्य के सतत विकास और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि जिन पांच परियोजनाओं की मांग की जा रही है, वे विशेषज्ञ समिति द्वारा सभी पहलुओं, विशेषकर पर्यावरणीय मानकों पर गहन विचार-वि-मर्श के बाद ही संस्तुत की गई हैं।

केंद्रीय मंत्री का सकारात्मक आश्वासन

इस पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि उनका मंत्रालय इस विषय का गंभीरता से अध्ययन करेगा और राज्य के हितों को ध्यान में रखते हुए सकारात्मक कदम उठाएगा। इस मुलाकात को उत्तराखंड के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक बड़ी उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। यदि केंद्र सरकार इन पांच परियोजनाओं को हरी झंडी दे देती है, तो यह न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा, बल्कि देश के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार के अंतिम निर्णय पर टिकी हैं।

 

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