Uttarakhand: उत्तराखंड की संस्कृति और स्वाद की भेंट- सीएम धामी ने पीएम मोदी को सौंपे स्थानीय उत्पाद और प्रतीक

नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस शिष्टाचार भेंट के दौरान, मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही प्रधानमंत्री को देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति, आध्यात्मिकता और स्थानीय उत्पादों की एक अनूठी और विचारशील भेंट प्रस्तुत की, जो राज्य की समृद्ध विरासत को दर्शाती है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक

इस भेंट में सबसे प्रमुख भगवान कार्तिकेय को समर्पित, रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्रसिद्ध कार्तिक स्वामी मंदिर का एक कलात्मक प्रतिरूप (Replica) शामिल था। यह उपहार राज्य की गहरी आध्यात्मिक जड़ों और अद्वितीय मंदिर वास्तुकला का प्रतीक है। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को आदि कैलाश यात्रा पर आधारित एक खूबसूरत कॉफी टेबल बुक भी भेंट की। यह पुस्तक इस पवित्र तीर्थ यात्रा के महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य को रेखांकित करती है, जो हाल के वर्षों में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनी है। इन उपहारों के माध्यम से मुख्यमंत्री ने राज्य के गौरवशाली आध्यात्मिक विरासत और पर्यटन की अपार संभावनाओं को प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया।

‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देते स्थानीय उत्पाद

आध्यात्मिक प्रतीकों के अलावा, मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री को उत्तराखंड के सुदूर अंचलों के विशिष्ट स्वाद और सुगंध से भी परिचित कराया। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा देते हुए, राज्य के स्थानीय और जैविक उत्पादों का एक विशेष संग्रह भेंट किया। इस संग्रह में शामिल थे:

  • कनार (धारचूला) का घी: धारचूला क्षेत्र का यह विशेष घी अपनी शुद्धता और अनूठे स्वाद के लिए जाना जाता है।

  • लाल (पुरोला) चावल: उत्तरकाशी के पुरोला क्षेत्र में उगाया जाने वाला यह लाल चावल पोषण से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।

  • बासमती चावल: राज्य के तराई क्षेत्रों का प्रसिद्ध बासमती चावल।

  • काला जीरा और स्थानीय जड़ी-बूटियां: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले काला जीरा, गंध रैण और जम्बू जैसी दुर्लभ और सुगंधित जड़ी-बूटियां, जो उत्तराखंड के व्यंजनों का एक अभिन्न अंग हैं।

  • स्थानीय शहद: देवभूमि के फूलों से बना शुद्ध और प्राकृतिक शहद।

भेंट के गहरे मायने

मुख्यमंत्री का यह कदम केवल एक औपचारिक भेंटवार्ता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक और सांस्कृतिक मायने हैं। इन उपहारों के चयन के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। यह भेंट उत्तराखंड के स्थानीय किसानों, कारीगरों और उत्पादकों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और उनकी आय बढ़ाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कितनी गंभीर है।

कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच यह मुलाकात केवल राजनीतिक चर्चा तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि यह देवभूमि की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रदर्शन भी थी, जिसने प्रधानमंत्री को राज्य की प्रगति और परंपरा से सीधे जोड़ा।

 

Pls read:Uttarakhand: तकनीकी शिक्षा होगी रोजगारपरक, CM धामी ने AI और कैंपस प्लेसमेंट पर दिया जोर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *