पलक्कड़ (केरल)। केरल एक बार फिर जानलेवा निपाह वायरस की आशंका से जूझ रहा है। राज्य के पलक्कड़ जिले में एक व्यक्ति की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में मौत का कारण निपाह वायरस होने का संदेह है। इस घटना के सामने आने के बाद केरल सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पूरे राज्य में निगरानी बढ़ा दी है और स्वास्थ्य विभाग को हाई अलर्ट पर रखा है।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के अनुसार, 12 जून को पलक्कड़ के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यह मरीज पिछले कुछ समय से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित था। मरीज के लक्षणों और स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों को निपाह वायरस का संदेह हुआ, जिसके बाद उसके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि मृतक के सैंपल को जब परीक्षण के लिए मंजरी मेडिकल कॉलेज की लैब में भेजा गया, तो उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट निपाह पॉजिटिव आई। हालांकि, यह अंतिम पुष्टि नहीं है। किसी भी मामले को आधिकारिक तौर पर निपाह घोषित करने के लिए सैंपल को पुणे स्थित देश की शीर्ष वायरोलॉजी लैब, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), भेजना अनिवार्य होता है। स्वास्थ्य विभाग अब NIV पुणे से आने वाली अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
सरकार की त्वरित कार्रवाई और सतर्कता
प्रारंभिक रिपोर्ट के पॉजिटिव आते ही केरल का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक उच्च-स्तरीय बैठक की और अधिकारियों को सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। सरकार ने एहतियात के तौर पर मृतक के संपर्क में आए लोगों की पहचान और उनकी निगरानी (कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग) शुरू कर दी है, ताकि संक्रमण के किसी भी संभावित फैलाव को तुरंत रोका जा सके। अस्पतालों को भी किसी भी संदिग्ध मामले के लिए तैयार रहने और प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है।
क्या है निपाह वायरस?
निपाह एक ज़ूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है। इसका मुख्य वाहक ‘फ्रूट बैट’ यानी फल खाने वाले चमगादड़ को माना जाता है। यह वायरस चमगादड़ों द्वारा खाए गए या जूठे फलों के माध्यम से अन्य जानवरों या सीधे इंसानों तक पहुंच सकता है। एक बार किसी इंसान के संक्रमित होने पर यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना और दिमागी सूजन (एन्सेफलाइटिस) शामिल हैं। निपाह वायरस का मृत्यु दर काफी अधिक है, और इसका कोई पुख्ता इलाज या टीका अभी तक उपलब्ध नहीं है, केवल लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता है।
केरल का निपाह से पुराना नाता रहा है। साल 2018 में कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में हुए प्रकोप ने राज्य को हिलाकर रख दिया था। उस अनुभव से सीखते हुए केरल के स्वास्थ्य सिस्टम ने निपाह से निपटने के लिए एक मजबूत प्रोटोकॉल विकसित किया है। फिलहाल, सभी की निगाहें पुणे की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिसके बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो पाएगी।
Pls read:Delhi: गलवान के बाद पहली चीन यात्रा पर जयशंकर, संबंधों को सामान्य बनाने पर जोर