नई दिल्ली/वाशिंगटन। अमेरिका के प्रसिद्ध माउंट रेनियर ज्वालामुखी क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से भूकंपों का एक बड़ा झुंड (Earthquake Swarm) दर्ज किया गया है, जिसने वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) द्वारा मंगलवार, 08 जुलाई, 2025 को जारी जानकारी के अनुसार, इस इलाके में 300 से अधिक छोटे भूकंप आ चुके हैं, जो 2009 के बाद से इस ज्वालामुखी में दर्ज की गई सबसे बड़ी भूकंपीय गतिविधि है।
इस असामान्य हलचल के बावजूद, वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह किसी आसन्न ज्वालामुखी विस्फोट का संकेत नहीं है और फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है। पैसिफिक नॉर्थवेस्ट सिस्मिक नेटवर्क (PNSN) और कैस्केड्स ज्वालामुखी वेधशाला की जन सूचना अधिकारी, होली वीस-रैसीन ने बताया कि गुरुवार, 10 जुलाई तक माउंट रेनियर में कुल 334 भूकंपों की पहचान की गई थी। इनमें से अधिकांश भूकंप बेहद कम तीव्रता के थे। इस श्रृंखला का अब तक का सबसे बड़ा भूकंप 8 जुलाई को आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर केवल 2.3 मापी गई।
क्या यह चिंता का विषय है?
विशेषज्ञों के अनुसार, 2.5 या उससे कम तीव्रता वाले भूकंप इतने सामान्य होते हैं कि वे आमतौर पर सतह पर महसूस भी नहीं होते। USGS की कैस्केड्स ज्वालामुखी वेधशाला ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि भूकंपीय गतिविधि के मौजूदा स्तर को लेकर कोई चिंताजनक संकेत नहीं हैं। ज्वालामुखी के लिए निर्धारित चेतावनी का स्तर ‘हरा/सामान्य’ (Green/Normal) बना हुआ है, जिसका अर्थ है कि ज्वालामुखी अपनी सामान्य पृष्ठभूमि गतिविधि के भीतर ही है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन भूकंपों का कारण ज्वालामुखी के अंदर मैग्मा की हलचल नहीं है। इसके बजाय, यह भूकंप मैग्मा कक्ष की ऊपरी गर्म परत के चारों ओर पानी की हलचल (Hydrothermal Activity) की वजह से आ रहे हैं।
असामान्य फिर भी खतरनाक नहीं
माउंट रेनियर में साल में लगभग एक या दो बार इस तरह के भूकंपों के झुंड आते हैं, लेकिन इस बार भूकंपों की संख्या इसे हाल के वर्षों में असामान्य बनाती है। 8 जुलाई को शुरू हुआ यह क्रम कई दिनों तक जारी रह सकता है। USGS की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है, “हम ज्वालामुखी की स्थिति जानने के लिए कई मापदंडों की निगरानी करते हैं, जिनमें भूकंप भी शामिल हैं। फिलहाल, यह भूकंप माउंट रेनियर में गतिविधि के सामान्य पृष्ठभूमि स्तर के भीतर हैं।”
माउंट रेनियर को एक सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है, हालांकि इसमें पिछले 500 वर्षों में कोई बड़ा विस्फोट नहीं हुआ है। लेकिन अपनी विशाल ऊंचाई, सक्रिय जलतापीय प्रणाली, लगातार आने वाले भूकंपों और शिखर पर जमे भारी हिमनदों (ग्लेशियर) के कारण इसे कैस्केड पर्वतमाला का संभावित रूप से सबसे खतरनाक ज्वालामुखी माना जाता है। किसी भी विस्फोट की स्थिति में पिघलने वाले ग्लेशियर विनाशकारी मडफ्लो (लाहार) का कारण बन सकते हैं, इसीलिए वैज्ञानिक इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।
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