SC: सुप्रीम कोर्ट की सलाह से पहले ही चुनाव आयोग मांग रहा आधार, राशन कार्ड पर होगा विचार

नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कुछ अहम सुझाव दिए हैं। शीर्ष अदालत ने आयोग से कहा है कि वह सत्यापन के लिए मांगे जाने वाले दस्तावेजों में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को शामिल करने पर विचार करे। हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट की इस सलाह से पहले ही अपने सत्यापन अभियान में मतदाताओं से आधार और वोटर आईडी कार्ड का विवरण मांग रहा है।

असल में, चुनाव आयोग द्वारा 24 जून से बिहार में शुरू किए गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान के तहत जो गणना फॉर्म वितरित किए गए हैं, उनमें मतदाताओं से उनके आधार नंबर और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) की जानकारी मांगी जा रही है। लेकिन इसके साथ ही, आयोग ने 11 अन्य दस्तावेजों की एक सूची भी दी है, जिसमें से किसी एक को प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है।

अब सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या चुनाव आयोग अपनी प्रक्रिया में कोई बदलाव करेगा? सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जो मतदाता अपना आधार और वोटर आईडी कार्ड जमा कर रहे हैं, क्या उन्हें अन्य 11 दस्तावेजों में से कोई एक देने की अनिवार्यता से राहत मिलेगी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को कोई सीधा आदेश नहीं दिया है, बल्कि यह केवल एक सलाह है, जिस पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार चुनाव आयोग के पास सुरक्षित है।

राशन कार्ड को शामिल करने पर होगा मंथन

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सलाह में राशन कार्ड को भी एक वैध दस्तावेज के रूप में शामिल करने पर विचार करने को कहा है। इस पर चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस सुझाव पर विचार किया जाएगा। राशन कार्ड को पहचान दस्तावेज के रूप में शामिल करने से पहले इसके कानूनी पहलुओं और व्यावहारिक चुनौतियों की गहन समीक्षा की जाएगी, जिसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

क्यों जरूरी है बहु-स्तरीय सत्यापन?

चुनाव आयोग का कहना है कि कई स्तरों पर दस्तावेजों की मांग करने का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची की शुद्धता को हर हाल में सुनिश्चित करना है। अधिकारियों के अनुसार, हाल के दिनों में यह देखने में आया है कि आधार कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेजों को तैयार करने की प्रक्रिया में भी गड़बड़ियां हुई हैं। ऐसी स्थिति में, किसी भी नागरिक का नाम मतदाता सूची में गलत तरीके से जुड़ने या कटने से रोकने के लिए यह बहु-स्तरीय सत्यापन प्रक्रिया अपनाई जा रही है, ताकि एक पारदर्शी और त्रुटिहीन अंतिम मतदाता सूची तैयार की जा सके।

अभियान की प्रगति

इस बीच, बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने गुरुवार को जानकारी दी कि 24 जून से शुरू हुए इस अभियान के तहत केवल 16 दिनों में 5.22 करोड़ गणना फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं, जो राज्य के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं का 66.16 प्रतिशत है। अधिकारियों ने विश्वास जताया कि जिस गति से काम चल रहा है, उसे देखते हुए 25 जुलाई की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले ही यह लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।

 

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