SC: सुप्रीम कोर्ट CJI-केंद्रित नहीं, जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाएंगे: जस्टिस बी.आर. गवई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश और भावी मुख्य न्यायाधीश (CJI), जस्टिस बी.आर. गवई ने न्यायिक नियुक्तियों, विशेषकर सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने की पुरजोर वकालत की है। उन्होंने इस धारणा को भी खारिज करने का प्रयास किया कि सुप्रीम कोर्ट “CJI-केंद्रित” है। जस्टिस गवई ने यह बातें बॉम्बे बार एसोसिएशन द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में आयोजित एक सम्मान समारोह के दौरान कहीं।

नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता पर जोर

समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, “हम इस मानसिकता को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट CJI-केंद्रित है। यह एक सामूहिक संस्था है और इसके निर्णय सामूहिक विवेक पर आधारित होते हैं।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि न्यायिक संस्था के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए, वरिष्ठ न्यायाधीशों, जैसे जस्टिस संजीव खन्ना, के समय से ही यह प्रयास चल रहा है कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए। यह बयान न्यायपालिका के भीतर एक अधिक सहयोगात्मक और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

साक्षात्कार के बाद 36 नामों की सिफारिश

जस्टिस गवई ने हाल ही में संपन्न हुई नियुक्ति प्रक्रिया का विवरण देते हुए इसे पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने खुलासा किया, “पिछले तीन दिनों से जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही थी। इस दौरान हमने 54 योग्य उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया। एक गहन मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद, इनमें से 36 नामों की नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई है।”

उन्होंने आश्वासन दिया कि यह नई प्रक्रिया नियुक्ति प्रणाली में निष्पक्षता लाएगी, जिसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी। उन्होंने कहा, “हम पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रहे हैं।”

योग्यता से समझौता नहीं, सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व

भावी मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन योग्यता (Merit) के साथ किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा जाएगा, लेकिन मेरिट सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहेगी।” यह दर्शाता है कि न्यायपालिका एक ऐसी व्यवस्था बनाने का लक्ष्य रख रही है, जो न केवल विविधतापूर्ण हो, बल्कि उच्चतम बौद्धिक और नैतिक मानकों को भी बनाए रखे।

लंबित मामले और रिक्तियां एक बड़ी चुनौती

देश की अदालतों में लंबित पड़े लाखों मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए जस्टिस गवई ने इसे एक “बड़ी परेशानी” बताया। उन्होंने कहा कि मामलों के निपटारे में हो रही देरी का एक मुख्य कारण अदालतों में जजों के खाली पद (Vacancies) हैं। उन्होंने कहा, “हम इस समस्या से अवगत हैं और इसे दूर करने के लिए काम कर रहे हैं।” जजों के पदों को तेजी से भरने का प्रयास सीधे तौर पर न्याय वितरण प्रणाली को मजबूत करने और आम आदमी को समय पर न्याय दिलाने के लक्ष्य से जुड़ा है।

जस्टिस गवई का यह संबोधन भारतीय न्यायपालिका के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप प्रस्तुत करता है, जिसमें पारदर्शिता, जवाबदेही, योग्यता और सामाजिक समावेश को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।

 

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