Uttarakhand: बुजुर्गों की उपेक्षा पर धामी सरकार सख्त, अब जिलाधिकारी सीधे सुनेंगे शिकायतें, भरण-पोषण कानून सख्ती से लागू करने के निर्देश

देहरादून। उत्तराखंड में वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा उन्हें उपेक्षा से बचाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब प्रदेश के जिलाधिकारी (DM) खुद वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं और शिकायतों की सुनवाई करेंगे। सरकार ने ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007’ को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए हैं, जिसके तहत जिलाधिकारियों को जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण का पीठासीन अधिकारी बनाया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों को संरक्षण प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह कानून उपेक्षित वरिष्ठ नागरिकों और माता-पिता को उनके बच्चों, बालिग पोते-पोतियों या संपत्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों से हर महीने भरण-पोषण दिलाने का एक वैधानिक अधिकार प्रदान करता है।

अधिकारियों की जिम्मेदारी तय

इस कानून को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक त्रि-स्तरीय व्यवस्था बनाई गई है और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई है:

  • जिला स्तर: जिला मजिस्ट्रेट (DM) जिला स्तरीय अपीलीय अधिकरण के पीठासीन अधिकारी होंगे। वे वरिष्ठ नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे।

  • तहसील स्तर: उप-जिलाधिकारी (SDM) तहसील स्तर पर भरण-पोषण अधिकरण के पीठासीन अधिकारी होंगे।

  • नोडल अधिकारी: जिला समाज कल्याण अधिकारी (DSWO) पदेन भरण-पोषण अधिकारी के रूप में काम करेंगे।

राज्य में इस कानून के तहत जिला स्तर पर कुल 13 अपीलीय भरण-पोषण अधिकरण और उप-खंड (सब-डिवीजन) स्तर पर 69 से अधिक भरण-पोषण अधिकरण कार्यरत हैं, जहां अधिकतम ₹10,000 प्रति माह तक की भरण-पोषण राशि निर्धारित की जा सकती है।

संपत्ति हस्तांतरण में भी सुरक्षा का प्रावधान

इस कानून का एक सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान संपत्ति की सुरक्षा से जुड़ा है। यदि कोई वरिष्ठ नागरिक अपनी देखभाल की शर्त पर अपनी संपत्ति किसी रिश्तेदार को हस्तांतरित करता है, लेकिन बाद में उसकी देखभाल नहीं की जाती, तो भरण-पोषण अधिकरण इस संपत्ति हस्तांतरण को अमान्य घोषित कर सकता है और संपत्ति वरिष्ठ नागरिक को वापस दिला सकता है।

अन्य कल्याणकारी कदम

सरकार जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिकों के लिए अन्य सेवाएं भी प्रदान कर रही है। बागेश्वर, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में नि:शुल्क वृद्ध एवं निशक्तजन आवास गृह संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही, राज्य में वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद का भी गठन किया गया है, जिसमें श्री रामचंद्र गौड़ को अध्यक्ष तथा श्रीमती शांति मेहरा, श्री नवीन वर्मा, और श्री हरक सिंह नेगी को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के वरिष्ठ नागरिकों से अपील करते हुए कहा, “उत्तराखंड सरकार अपने वरिष्ठ नागरिकों के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। वरिष्ठ नागरिकों से विनम्र अपील है कि यदि आप जीवन-यापन हेतु उपेक्षित महसूस करते हैं, तो अविलंब अपने नजदीकी भरण-पोषण अधिकरण अथवा जिला समाज कल्याण अधिकारी से संपर्क करें।”

 

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