Uttarakhand: उत्तराखंड में भू-कानून के उल्लंघन के 407 मामले दर्ज, 3 हेक्टेयर से अधिक जमीन सरकार ने की जब्त

देहरादून। उत्तराखंड में भू-कानून के उल्लंघन के खिलाफ पुष्कर सिंह धामी सरकार ने अपना रुख बेहद सख्त कर लिया है। प्रदेश भर में चलाए जा रहे एक विशेष अभियान के तहत अब तक भू-उपयोग परिवर्तन (Land Use Violation) के 407 मामले सामने आए हैं, जिन पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है। सरकार का यह कदम भू-माफिया और उन लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो राज्य के कानूनों को धता बताकर जमीन का दुरुपयोग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की जमीन का गलत इस्तेमाल किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कड़ी में उन मामलों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जहां जमीन किसी विशेष प्रयोजन के लिए खरीदी गई थी, लेकिन बाद में उसका इस्तेमाल अन्य व्यावसायिक या निजी कार्यों के लिए किया जाने लगा। जांच में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां जमीन उद्योग लगाने, खेती-बागवानी करने या स्कूल-अस्पताल खोलने के नाम पर खरीदी गई, लेकिन बाद में उस पर रिसॉर्ट, होटल या आवासीय प्लाटिंग कर दी गई। इस तरह की धोखाधड़ी मुख्यतः देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर देखने को मिली है।

सरकार की इस सख्ती का असर जमीन पर भी दिखने लगा है। अब तक सामने आए 407 प्रकरणों में से 154 में संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ वाद दायर किया जा चुका है, जबकि 147 मामलों में कार्रवाई गतिमान है। शेष प्रकरणों की भी तेजी से जांच की जा रही है।

सबसे बड़ी कार्रवाई के तहत, भू-कानून के प्रावधानों का घोर उल्लंघन करने पर अब तक कुल 3.006 हेक्टेयर जमीन राज्य सरकार में निहित (जब्त) की जा चुकी है। इसमें बागेश्वर में 0.40 हेक्टेयर, रुद्रपुर में 1.65 हेक्टेयर, नैनीताल के सिलटौना में 0.55 हेक्टेयर और अल्मोड़ा में 0.758 हेक्टेयर जमीन शामिल है। अल्मोड़ा का एक मामला विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जहां जमीन को जब्त कर सरकार में निहित किया गया है।

इस पूरी कार्रवाई पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “भूमि प्रबंधन तथा भू-व्यवस्था एवं सुधार के लिए प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू हो गया है। इसी के साथ जनभावना के अनुरूप उत्तराखंड में कृषि और उद्यान भूमि की अनियंत्रित बिक्री पर रोक लग गई है। भू अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध लगातार कार्यवाही की जा रही है। इस संबंध में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है और इस तरह की भूमि राज्य सरकार में निहित की जा रही है।”

सरकार के इस अभियान से यह स्पष्ट है कि वह प्रदेश के मूल स्वरूप और यहां की कृषि भूमि को बचाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आने वाले दिनों में इस तरह की कार्रवाई और तेज होने की संभावना है, ताकि राज्य के भू-संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

 

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