देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हालिया कुमाऊं दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में एक बड़ी और गंभीर चूक का मामला सामने आया है। यह खुलासा हुआ है कि विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सफारी के दौरान मुख्यमंत्री जिस सरकारी जिप्सी में सवार थे, उसकी फिटनेस पांच साल पहले ही समाप्त हो चुकी थी। इस लापरवाही के उजागर होने के बाद शासन में हड़कंप मच गया है और वन मंत्री ने पूरे प्रकरण की गहन जांच के आदेश दिए हैं।
पूरा मामला मुख्यमंत्री धामी के 6 जुलाई को हुए रामनगर दौरे से जुड़ा है। इस दौरान उन्होंने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सफारी का कार्यक्रम बनाया था। प्रोटोकॉल के तहत उनके लिए एक जिप्सी की व्यवस्था की गई। लेकिन संबंधित अधिकारियों ने इस बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया कि जिस वाहन में प्रदेश के मुखिया को बिठाया जा रहा है, वह यात्रा के लिए तकनीकी रूप से सुरक्षित है भी या नहीं। बाद में पता चला कि इस जिप्सी का फिटनेस प्रमाण पत्र वर्ष 2020 में ही समाप्त हो गया था।
यह गंभीर मामला मंगलवार को इंटरनेट मीडिया (सोशल मीडिया) पर उछलने के बाद सुर्खियों में आया। जैसे ही खबर फैली, शासन में हड़कंप मच गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल ने तत्काल इसका संज्ञान लिया। उन्होंने विभाग के प्रमुख को इस प्रकरण की गहनता से जांच कराने और जिम्मेदारी तय करने के सख्त निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।
वहीं, मामला सामने आने के बाद कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि जैसे ही यह विषय मीडिया में आया और अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई, प्रशासन ने आनन-फानन में मंगलवार को ही उस जिप्सी का फिटनेस दो साल के लिए नवीनीकृत करा दिया। जानकारी के अनुसार, यह वाहन वर्ष 2018 में खरीदा गया था और महज दो साल बाद 2020 में इसकी फिटनेस खत्म हो गई थी, जिसके बाद से इसे लगातार बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के ही इस्तेमाल किया जा रहा था।
गनीमत सिर्फ इतनी रही कि मुख्यमंत्री की सफारी के दौरान जिप्सी में कोई तकनीकी खराबी नहीं आई और कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। हालांकि, इस घटना ने वीवीआईपी सुरक्षा प्रोटोकॉल और सरकारी विभागों में वाहनों के रखरखाव को लेकर बरती जाने वाली घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है। अब जांच रिपोर्ट का इंतजार है, जिससे यह साफ हो सकेगा कि इस बड़ी चूक के लिए कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं और उन पर क्या कार्रवाई की जाती है।
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