शिमला/मंडी। हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश कहर बनकर बरस रही है, जिससे प्राकृतिक आपदा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं ने पूरे प्रदेश में भारी तबाही मचाई है, जिसमें अब तक 16 लोगों की जान जा चुकी है और 57 लोग अभी भी लापता हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
शिमला और चंबा में ताजा घटनाएं
आपदा की ताजा तस्वीरें शिमला और चंबा से सामने आई हैं। शिमला में ढली-कैथलीघाट फोरलेन पर लिंडीधार में बना 90 फीट ऊंचा डंगा (रिटेनिंग वॉल) वीरवार को ढह गया, जिससे पांच रिहायशी भवनों पर गंभीर खतरा मंडराने लगा है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि फोरलेन निर्माण में की जा रही लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है और लोग दहशत में अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं। वहीं, चंबा उपमंडल के जडेरा में बुधवार रात भारी बारिश के कारण एक शेडनुमा मकान ध्वस्त हो गया, जिसके मलबे में दबने से एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई।
मंडी जिले में आपदा का सबसे भयावह मंजर
आपदा का सबसे भयावह चेहरा मंडी जिले में देखने को मिल रहा है, जहां 30 जून की रात को बादल फटने से आई बाढ़ में बहे एक और व्यक्ति का शव सराज के केलटी से बरामद हुआ है। इसके साथ ही जिले में आपदा से मरने वालों की संख्या 16 हो गई है, जबकि 57 लोग अब भी लापता हैं। हालांकि, एक राहत भरी खबर यह है कि जंजैहली के होटल क्लब महिंद्रा में फंसे सभी 60 पर्यटक सुरक्षित हैं और पुलिस का उनसे संपर्क हो गया है।

प्रशासन युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्यों में जुटा है। गोहर उपमंडल के स्यांज से लापता सात लोगों की तलाश के लिए अब ड्रोन की मदद ली जाएगी। जिले में सात राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें 403 प्रभावितों को ठहराया गया है, जिनमें सबसे अधिक 280 लोग सराज क्षेत्र के हैं। सड़क और पुल टूटने से जिला मुख्यालय से कट चुकी सराज की 11 पंचायतों तक माता बगलामुखी रोपवे के जरिए राहत सामग्री पहुंचाने का काम शुरू कर दिया गया है। जिले में अब तक 175 घर, 132 पशुशालाएं और सात दुकानें पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं।
आने वाले दिन और भी चुनौतीपूर्ण
मौसम विभाग ने 6, 7 और 8 जुलाई को कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, बिलासपुर और ऊना में ‘बहुत भारी वर्षा’ की चेतावनी जारी की है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ने और स्थिति के और बिगड़ने की आशंका है। प्रदेश में भूस्खलन के कारण अभी भी 246 सड़कें बंद हैं, 404 ट्रांसफार्मर खराब हैं और 784 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
आपदा प्रबंधन के निदेशक डीसी राणा ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण बादल फटने और बाढ़ आने की घटनाएं बढ़ रही हैं। अभी तक 400 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है, जबकि वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक है। हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता राहत और बचाव कार्य है।”
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