नई दिल्ली। इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में मिली हार के बाद शुभमन गिल की कप्तानी वाली भारतीय टीम अब सीरीज बराबर करने के इरादे से मैदान में उतरेगी। एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का दूसरा मुकाबला 2 जुलाई से बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर खेला जाना है। यह वही मैदान है, जो भारतीय टीम के लिए किसी ‘अभेद्य किले’ से कम नहीं रहा है। यहां जीतना तो दूर, टीम इंडिया आज तक एक भी टेस्ट मैच अपने नाम नहीं कर सकी है। ऐसे में गिल की सेना के सामने न सिर्फ पिछली हार का बदला लेने, बल्कि दशकों पुराने खराब रिकॉर्ड को तोड़ने की भी दोहरी चुनौती होगी।
कैसा खेलेगी एजबेस्टन की पिच?
बर्मिंघम के एजबेस्टन की पिच क्रिकेट के सभी प्रारूपों के लिए एक संतुलित विकेट मानी जाती है। टेस्ट मैच के शुरुआती दो दिनों में यहां तेज गेंदबाजों को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। पिच पर अच्छी गति और उछाल रहेगी, जिससे टॉप ऑर्डर के बल्लेबाजों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आसमान में बादल छाए रहे तो ड्यूक्स गेंद (Dukes ball) और भी खतरनाक हो जाएगी, क्योंकि उसे अच्छी स्विंग और सीम मिलेगी।
हालांकि, तीसरे दिन से पिच का मिजाज बदलने लगता है। यह धीरे-धीरे सपाट हो जाती है और बल्लेबाजों के लिए रन बनाना आसान हो जाता है। चौथे दिन बल्लेबाज खुलकर बड़े शॉट्स खेल सकते हैं। मैच के पांचवें और आखिरी दिन तक पिच पर टूट-फूट और दरारें उभर आती हैं, जिससे स्पिन गेंदबाजों की भूमिका अहम हो जाती है और उन्हें टर्न मिलने लगता है। औसतन, यहां पहली पारी का स्कोर 310 और चौथी पारी का स्कोर 170-200 के बीच रहता है, जो लक्ष्य का पीछा करने की चुनौती को दर्शाता है।

एजबेस्टन में भारत का शर्मनाक रिकॉर्ड
इस मैदान पर आंकड़े पूरी तरह से भारत के खिलाफ हैं। टीम इंडिया ने एजबेस्टन में अब तक कुल 8 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें से उसे 7 में करारी हार का सामना करना पड़ा है, जबकि एकमात्र मैच 1986 में ड्रॉ पर समाप्त हुआ था। इसका मतलब है कि भारत आज तक इस मैदान पर एक भी टेस्ट जीत दर्ज नहीं कर पाया है। भारत को यहां 2022 में खेले गए पिछले मुकाबले में भी 7 विकेट से हार मिली थी।
हालांकि, टीम के खराब प्रदर्शन के बावजूद कुछ भारतीय बल्लेबाजों ने यहां व्यक्तिगत रूप से शानदार प्रदर्शन किया है। विराट कोहली ने 2 मैचों में 231 रन बनाए हैं, जबकि ऋषभ पंत ने 2022 में सिर्फ एक मैच में 203 रनों की विस्फोटक पारी खेली थी। सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गज भी यहां रन बना चुके हैं।
इस मैदान पर सबसे बड़ा टीम टोटल इंग्लैंड ने 2011 में भारत के खिलाफ ही (710 रन) बनाया था, जो यहां भारतीय गेंदबाजों की चुनौतियों को उजागर करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या शुभमन गिल की युवा टीम इस ऐतिहासिक मैदान पर खराब रिकॉर्ड के सिलसिले को तोड़कर सीरीज में वापसी कर पाती है या नहीं।
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