तेहरान। इजरायल के साथ जारी तनाव और हालिया हवाई हमलों में अपने शीर्ष सैन्य कमांडरों को खोने के बाद ईरान ने अपने सैन्य ढांचे में एक बड़ा फेरबदल किया है। देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनेई ने इजरायली हमलों में मारे गए जनरलों के स्थान पर तत्काल प्रभाव से सेना, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य इकाइयों में प्रमुख नियुक्तियों की घोषणा की है। यह कदम ईरान की जवाबी तैयारी और अपने सैन्य नेतृत्व को फिर से मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
मेजर जनरल आमिर हतामी बने सेना के नए मुख्य कमांडर
ईरानी सरकारी मीडिया एजेंसी ‘इरना’ के अनुसार, देश के पूर्व रक्षा मंत्री मेजर जनरल आमिर हतामी को इस्लामी गणतंत्र ईरान की सेना का नया मुख्य कमांडर नियुक्त किया गया है। हतामी 2013 से 2021 तक ईरान के रक्षा मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं और उन्हें एक अनुभवी रणनीतिकार माना जाता है। सर्वोच्च नेता खामेनेई ने अपने आधिकारिक आदेश में हतामी के समर्पण, क्षमता और मूल्यवान अनुभव की प्रशंसा की और उनके नेतृत्व में एक “परिवर्तनकारी और क्रांतिकारी दृष्टिकोण” का आह्वान किया।
सशस्त्र बलों और IRGC को भी मिले नए प्रमुख

इजरायली हवाई हमले में ईरान के सशस्त्र सेना प्रमुख (CSAF) जनरल मोहम्मद हुसैन बाघेरी की हत्या के बाद, खामेनेई ने मेजर जनरल सैय्यद अब्दुलरहीम मौसवी को उनका उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मौसवी की ईमानदार और सराहनीय सेवाओं का उल्लेख करते हुए लिखा, “लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हुसैन बाघेरी की शहादत को देखते हुए… मैं उन्हें सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में नियुक्त करता हूं।”
यह फेरबदल ईरान की सबसे शक्तिशाली सैन्य शाखा, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) तक भी पहुंचा है। इजरायली हमले में IRGC के कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हुसैन सलामी के मारे जाने के बाद, मेजर जनरल मोहम्मद पाकपुर को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। खामेनेई ने पाकपुर के बहुमूल्य अनुभव को देखते हुए उनकी नियुक्ति की घोषणा की।
इसी प्रकार, एक अन्य शीर्ष कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल घोलामाली रशीद की शहादत के बाद, मेजर जनरल अली शादमानी को ‘खातम अल-अनबिया’ केंद्रीय मुख्यालय का नया कमांडर नियुक्त किया गया है।
ये नियुक्तियां ईरान द्वारा इजरायल को एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही हैं कि वह अपने शीर्ष नेतृत्व पर हुए किसी भी हमले के बाद अपने सैन्य ढांचे को तुरंत पुनर्गठित करने और कमान को स्थिर रखने में सक्षम है। इन त्वरित बदलावों ने मध्य-पूर्व में पहले से ही व्याप्त तनावपूर्ण स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
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