Uttarakhand: आस्था की डोर: व्हीलचेयर और बैसाखी पर कैंची धाम पहुंच रहे भक्त, गंभीर बीमारियां भी नहीं रोक पा रहीं राह

गरमपानी (नैनीताल): अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर स्थित सुप्रसिद्ध कैंची धाम में इन दिनों आस्था का एक ऐसा सैलाब उमड़ा है, जो शारीरिक सीमाओं और सैकड़ों किलोमीटर की दूरियों से परे है। बाबा नीम करौरी के प्रति अगाध श्रद्धा और विश्वास ही है जो भक्तों को गंभीर बीमारियों से जूझने के बावजूद उनके दर पर खींच ला रहा है। 15 जून को होने वाले मंदिर के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं और इनमें से कुछ की कहानियां हर किसी को हैरान कर रही हैं।

व्हीलचेयर पर जिंदगी बिता रहे राजस्थान के कारोबारी मुकेश अग्रवाल और बैसाखी के सहारे चलने वाले प्रयागराज के अखिलेश पांडे की भक्ति, बाबा की महिमा का जीता-जागता प्रमाण है। लंबे समय से नसों की गंभीर बीमारी से जूझ रहे मुकेश अग्रवाल अमेरिका तक में अपना इलाज करा चुके हैं, लेकिन जब स्वास्थ्य में खास सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने बाबा के दर पर शीश झुकाने का फैसला किया। व्हीलचेयर पर ही वे कैंची धाम पहुंचे हैं, ताकि स्थापना दिवस पर बाबा का आशीर्वाद ले सकें।

वहीं, प्रयागराज से पहुंचे अखिलेश पांडे बैसाखी के सहारे बाबा के दरबार में मत्था टेकने पहुंचे हैं। उनके चेहरे पर गजब का उत्साह है। वे कहते हैं, “नीम करौरी के दरबार पहुंचकर जिंदगी सफल हो गई। अब मैं हर साल यहां आऊंगा।”

किसी की मुराद पूरी, किसी को मिली मन की शांति

यह सिर्फ मुकेश और अखिलेश की कहानी नहीं है, कैंची धाम पहुंचे हर भक्त की अपनी एक कहानी है, जो बाबा के प्रति उनकी अटूट आस्था को बयां करती है। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर और बिहार जैसे शहरों से पहुंचे श्रद्धालु आश्रम परिसर में सेवा कार्यों और हनुमान चालीसा के पाठ में जुट गए हैं। मंदिर परिसर के सामने बन रहे पाथवे के किनारे भी कई परिवार हनुमान चालीसा का पाठ करते देखे जा सकते हैं।

  • जयपुर से आईं नंदनी खांडल ने बताया, “मैं पिछले डेढ़ साल से यहां आने की कोशिश कर रही थी, पर अब लगता है बाबा का आदेश मिला है। स्थापना दिवस पर यहां रहना बहुत बड़ा सौभाग्य है, जैसे बाबा ने मेरी मनोकामना पूरी कर दी हो।”

  • बाराबंकी से पहली बार परिवार संग आईं सोनम यादव ने कहा, “यहां पहुंचकर स्थापना दिवस की जानकारी मिली। हमें लौटना था, पर अब स्थापना दिवस पर प्रसाद पाकर ही वापस जाएंगे।”

  • अहमदाबाद से आए नितेश मेहता ने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और मन बहुत अशांत था। बाबा के धाम के बारे में सुना और दौड़ा चला आया। यहां आकर मन को शांति मिली है। अब बाबा के आशीर्वाद से जल्द ही अपना काम शुरू करूंगा।”

  • बिहार से पहुंचे भरत उपाध्याय कहते हैं, “स्थापना दिवस की जानकारी मिली और मन में विचार आया कि बाबा के धाम पहुंच जाऊं। अचानक ही प्रोग्राम बना और यहां पहुंच गया। शायद मुझे बाबा ने ही बुला लिया।”

इन भक्तों की कहानियां बताती हैं कि कैंची धाम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि एक ऐसा ऊर्जा केंद्र है, जहां आकर लोगों को आत्मिक शांति, नई दिशा और जीवन की चुनौतियों से लड़ने का असीम बल मिलता है। स्थापना दिवस पर यहां जुटने वाली लाखों की भीड़ इसी विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है।

 

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