गरुड़ (बागेश्वर): उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के गरुड़ में बैजनाथ-ग्वालदम हाईवे पर शराब का बार खोले जाने की सुगबुगाहट ने ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को आक्रोशित कर दिया है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में महिलाओं ने तहसील कार्यालय पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि पानी के कनेक्शन के नाम पर उनसे धोखे से खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए हैं, जिनका इस्तेमाल अब बार खोलने की सहमति के लिए किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने साफ चेतावनी दी है कि वे किसी भी कीमत पर अपनी धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगी और अगर जोर-जबरदस्ती की गई तो वे आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का पूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगी।
शुक्रवार को रावतकोट, झालामाली और मेलाडुंगरी गांवों की दर्जनों महिलाएं तहसील कार्यालय पहुंचीं और प्रस्तावित बीयर बार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर बार खोलने की तैयारी चल रही है, वह बेहद संवेदनशील और धार्मिक आस्था का केंद्र है। यह स्थान प्रसिद्ध कोट भ्रामरी मंदिर के मुख्य रास्ते पर पड़ता है, जो क्षेत्र के लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है।

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने अपनी आपत्तियों को विस्तार से बताते हुए कहा, “इसी रास्ते से हमारे बच्चे स्कूल आते-जाते हैं। पास में ही हनुमान मंदिर स्थित है और निकट ही हेलीपैड भी है। यदि यहां बार खुलता है, तो इससे न केवल हमारे बच्चों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा, बल्कि युवा भी नशे की गिरफ्त में आ सकते हैं।” उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के आसपास पांच सौ परिवारों की लगभग 2200 की आबादी रहती है, जो पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है। बार खुलने से महिलाओं का अपने खेतों में अकेले आना-जाना मुश्किल हो जाएगा और गांव की शांति भंग होगी।
ग्रामीणों ने सबसे गंभीर आरोप यह लगाया कि उनसे धोखे से सहमति ली गई है। उन्होंने कहा, “हमसे पानी के कनेक्शन के लिए आवेदन करने के नाम पर खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए थे। हमें नहीं पता था कि यह ग्रामीणों के साथ इतना बड़ा छल किया जा रहा है। हम किसी भी हाल में यहां बार नहीं खुलने देंगे।”
इस विरोध प्रदर्शन में दीपा देवी, गंगा देवी, माया देवी, चंपा देवी, गीता देवी, भावना देवी, ललिता देवी, पुष्पा देवी के साथ–साथ ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गिरीश कोरंगा और दिग्विजय फर्सवाण भी शामिल हुए। उन्होंने तहसीलदार निशा रानी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा, जिसमें तत्काल इस प्रक्रिया को रोकने और ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान करने की मांग की गई है।