किन्नौर। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज जनजातीय किन्नौर जिले में भारत और चीन की सीमा से लगे 3,930 मीटर ऊंचे मोटर योग्य पहाड़ी दर्रे शिपकी-ला में सीमा पर्यटन गतिविधियों का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमा पर हमने पर्यटकों के लिए शिपकी-ला की सुंदरता का आनंद लेने के लिए प्रतिबंधों में ढील दी है और यहां पर्यटन गतिविधियों से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय लोगों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने रक्षा मंत्रालय से लेप्चा, शिपकी-ला, गियू और रानी कांडा के सीमावर्ती इलाकों में पर्यटन गतिविधियां शुरू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। इसकी स्वीकृति के बाद सीमा पर्यटन पहल शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के समक्ष शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने का मुद्दा भी उठाएगी। उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री से मिलूंगा और यह मामला उनके सामने रखूंगा। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए शिपकी-ला सबसे आसान रास्ता होगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और तिब्बत के बीच सदियों पुराना व्यापार मार्ग, शिपकी-ला, वर्ष 2020 में व्यापार के लिए बंद कर दिया गया था। इस दर्रे के माध्यम से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की अपार संभावनाएं हैं और इसे फिर से शुरू करने का मामला भी केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाएगा।
श्री सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र से हिमाचल स्काउट बटालियन स्थापित करने का भी आग्रह किया है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के स्थानीय लोगों के लिए एक विशेष कोटा होगा।
सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक हवाई अड्डा स्थापित करने का मामला भी केंद्र सरकार के समक्ष रखा जाएगा। राज्य सरकार केंद्र से सेना और अर्धसैनिक बलों की आंतरिक लाइन चेक पोस्ट को समाप्त करने का आग्रह करेगी, जो वर्तमान में पर्यटकों के लिए परमिट संबंधी बाधाएं पैदा करती है।
पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाने और निर्बाध यात्रा को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसके तहत भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के साथ सहयोग पर जोर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति जिले को किन्नौर से जोड़ने वाली वांगतू-अतरगु-मड-भाभा सड़क को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी गई है, जिससे इसके निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है जिससे शिमला और काज़ा के बीच की दूरी लगभग 100 किमी कम हो जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती सड़कें न केवल रणनीतिक महत्व की हैं, बल्कि उनका उद्देश्य दूरस्थ सीमावर्ती क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाकर लोगों को लाभ प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल ही में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने की कार्य योजना पर भी चर्चा की है। दूर-दराज के इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आईटीबीपी के विभिन्न हेलीपैड का उपयोग करने पर भी चर्चा हुई है। आईटीबीपी के स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से लोगों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के बारे में भी बातचीत हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सेना और अर्धसैनिक बलों की वीरता पर गर्व है। उन्होंने शिपकी-ला में बॉर्डर फॉरेस्ट पार्क का भी उद्घाटन किया और इंदिरा गांधी पॉइंट का दौरा किया।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और सीमा पर्यटन गतिविधियों का उद्घाटन करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में शिपकी-ला में और बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। उन्होंने क्षेत्र में ऑन-डिमांड बस रूट शुरू करने का भी आग्रह किया।
ग्राम पंचायत नामग्या के प्रधान बलदेव नेगी ने भी मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इसके अलावा, स्थानीय महिला मंडलों ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम, किन्फेड के अध्यक्ष चंद्र गोपाल नेगी, 19 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल नितिन शंकर, 11 महार कर्नल जी.के. गुंडे, कमांडेंट 43 बटालियन आईटीबीपी सुरेंद्र पंवार, उपायुक्त अमित कुमार, पुलिस अधीक्षक अभिषेक और सेना, आईटीबीपी के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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