सुकमा (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सोमवार सुबह हुए एक दर्दनाक आईईडी विस्फोट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) आकाश राव गिरपुंजे शहीद हो गए। माओवादियों द्वारा बिछाए गए इस प्रेशर आईईडी के धमाके में उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (SDOP) भानुप्रताप चंद्राकर और कोंटा थाना प्रभारी सोनल ग्वाला सहित कई अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं।
घटनाक्रम के अनुसार, रविवार रात फंदीगुड़ा के पास एक क्रेशर प्लांट में माओवादियों ने हमला कर एक बैकहो लोडर मशीन (जेसीबी) को आग के हवाले कर दिया था। इसके बाद उन्होंने मशीन के आसपास प्रेशर आईईडी भी बिछा दी थी। सोमवार सुबह इस घटना की जाँच के लिए एएसपी आकाश राव गिरपुंजे के नेतृत्व में पुलिस अधिकारियों की एक टीम मौके पर पहुँची। जैसे ही टीम घटनास्थल के करीब पहुंची, वहां पहले से बिछाया गया आईईडी विस्फोट हो गया।
इस विस्फोट में एएसपी आकाश राव गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत कोंटा के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। इस धमाके में एसडीओपी भानुप्रताप चंद्राकर और थाना प्रभारी सोनल ग्वाला समेत अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। सभी घायलों को बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट कर रायपुर भेजा गया है। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
यह घटना माओवादियों द्वारा 10 जून को भारत बंद के आह्वान के बीच हुई है। इससे साफ जाहिर होता है कि माओवादी सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। एएसपी आकाश राव अपनी टीम के साथ क्षेत्र में गश्त कर रहे थे ताकि संभावित माओवादी गतिविधियों पर नज़र रखी जा सके और किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
शहीद आकाश राव गिरपुंजे एक साहसी और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में जाने जाते थे। उनके शहीद होने की खबर से पुलिस विभाग और पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा। सरकार और पुलिस विभाग द्वारा शहीद के परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है। इस घटना के बाद क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है और माओवादियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है।
यह घटना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में माओवादी खतरा अभी भी बरकरार है। सुरक्षाबलों को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस खतरे से निपटने और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए ठोस रणनीति और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है।
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