SC: न्यायमूर्ति बीआर गवई ने भारत के 58वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 58वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध CJI हैं और स्वतंत्रता के बाद दलित समुदाय से आने वाले दूसरे CJI हैं। इससे पहले, जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा, जो 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।

डॉ. अंबेडकर का प्रभाव:

जस्टिस गवई के पिता, रामकृष्ण सूर्यभान गवई, ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। जस्टिस गवई ने कई बार सार्वजनिक रूप से डॉ. अंबेडकर के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है और उनके योगदान को अपनी सफलता का श्रेय दिया है। उन्होंने एक भाषण में कहा था कि डॉ. अंबेडकर के प्रयासों के कारण ही एक झुग्गी बस्ती के नगरपालिका स्कूल से पढ़ा हुआ व्यक्ति इस मुक़ाम तक पहुँच सका है।

उल्लेखनीय फैसले और योगदान:

  • राजनीतिक मामले: जस्टिस गवई ने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक मामलों में फैसले सुनाए हैं, जिनमें न्यूज़क्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े मामले शामिल हैं। उन्होंने UAPA और PMLA जैसे कानूनों के तहत मनमानी गिरफ्तारी पर भी महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।

  • अवैध निर्माण विध्वंस: नवंबर 2014 में, जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिना उचित प्रक्रिया के संपत्तियों के विध्वंस को कानून के शासन के विरुद्ध माना था।

  • आरक्षण: वे सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का हिस्सा थे जिसने अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए आरक्षण की वकालत की थी।

  • राहुल गांधी मानहानि मामला: जस्टिस गवई उस पीठ में भी शामिल थे जिसने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाई थी, जिससे उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल हुई।

पृष्ठभूमि और शिक्षा:

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उनके पिता, रामकृष्ण सूर्यभान गवई, एक प्रभावशाली राजनेता थे और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य, बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल रहे। जस्टिस गवई ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमरावती के एक नगरपालिका स्कूल में प्राप्त की और बाद में अमरावती विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।

 

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