कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को “जबरन पारित” कराने संबंधी दिए गए बयान पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही के दौरान एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा इस तरह के आरोप लगाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और यह संसदीय लोकतंत्र की गरिमा के विरुद्ध है।
यह मामला तब सामने आया जब गुरुवार को कांग्रेस संसदीय दल (CPP) की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में जबरन पारित कराया गया और अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने इस विधेयक को संविधान पर हमला बताया और इसे भाजपा की समाज को ध्रुवीकृत करने की रणनीति का हिस्सा करार दिया।
शुक्रवार को लोकसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने यह मुद्दा लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उठाया और इस पर निर्णय देने की मांग की। इस पर ओम बिरला ने कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य, जो पहले लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं, ने संसद भवन परिसर में यह टिप्पणी की है कि वक्फ संशोधन विधेयक को जबरन पारित किया गया।
लोकसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वक्फ संशोधन विधेयक पर निचले सदन में 13 घंटे 53 मिनट तक चर्चा हुई, जिसमें विभिन्न दलों के कई सदस्यों ने भाग लिया। विधेयक पर तीन बार मतदान हुआ और इसे सदन के नियमों के अनुसार पारित किया गया। इसलिए, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन के देर रात तक चलने और लंबी बहस के बाद विधेयक के पारित होने के बावजूद, एक वरिष्ठ सदस्य सदन की कार्यवाही पर संदेह कर रहे हैं, जो उचित नहीं है और संसदीय लोकतंत्र की गरिमा के अनुरूप नहीं है।
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