नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में गड़बड़ियों का जिक्र किया और कहा कि अब यह नहीं चलेगा। उन्होंने नए कानून को न मानने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि यह संसद द्वारा बनाया गया कानून है और इसे सभी को मानना होगा।
2013 के कानून पर सवाल:
शाह ने कहा कि अगर 2013 में कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ कानूनों को इतना कठोर नहीं बनाया होता, तो आज संशोधन की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने लोकसभा में 2013 के संशोधन विधेयक पर लालू प्रसाद यादव द्वारा उठाए गए मुद्दों का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने वक्फ संपत्तियों में लूटपाट का मुद्दा उठाया था और इसके लिए कड़े कानून की मांग की थी। शाह ने कहा कि मोदी सरकार अब लालू यादव की उस इच्छा को पूरा कर रही है।
गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का उद्देश्य:
गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ परिषद और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का मकसद सिर्फ संपत्तियों का बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करना है, न कि धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करना। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड 1995 में अस्तित्व में आए थे और नए संशोधनों में भी उन्हें बनाए रखा गया है। सरकार ने सिर्फ उन्हें पारदर्शी और जवाबदेह बनाने का काम किया है।

चैरिटी कमिश्नर पर सफाई:
चैरिटी कमिश्नर के गैर-मुस्लिम होने के आरोप को हास्यास्पद बताते हुए शाह ने कहा कि यह एक प्रशासनिक पद है जो सभी धर्मों के ट्रस्टों की देखरेख करता है. सभी धर्मों के लिए अलग-अलग चैरिटी कमिश्नर नहीं हो सकते।
2013 के संशोधन का दुरुपयोग:
शाह ने बताया कि 2013 के संशोधन में वक्फ बोर्ड को दिए गए अधिकारों का दुरुपयोग किया गया। उन्होंने कई राज्यों में मंदिरों, गांवों और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने के मामलों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि 1913 से 2013 के बीच देश में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के पास थी, जो पिछले 12 सालों में बढ़कर 39 लाख एकड़ हो गई।
मनमानी पर रोक:
शाह ने कहा कि अब वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से किसी भी जमीन को वक्फ घोषित नहीं कर सकेगा. इसके लिए कलेक्टर का प्रमाणपत्र लेना होगा. उन्होंने कहा कि वक्फ सिर्फ अपनी संपत्ति का किया जा सकता है, दूसरे की संपत्ति का नहीं। मध्यकालीन शासकों द्वारा किए गए वक्फ के दावे के लिए पुख्ता सबूत देने होंगे।
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