चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने नई रेत खनन नीति लागू कर दी है। सरकार का दावा है कि इससे रेत-बजरी की कीमतें कम होंगी और सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी होगी। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और खनन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बताया कि नई नीति से पारदर्शिता आएगी।
राजस्व बढ़ाने पर ज़ोर:
चीमा और गोयल ने कहा कि नई नीति का उद्देश्य रेत-बजरी की कीमतों को नियंत्रित रखते हुए राजस्व बढ़ाना है। इसके लिए रेत और बजरी की रॉयल्टी 73 पैसे प्रति क्यूबिक फुट से बढ़ाकर क्रमशः 1.75 रुपये और 3.20 रुपये प्रति क्यूबिक फुट कर दी गई है। हालांकि, चीमा ने यह नहीं बताया कि इससे राजस्व में कितनी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इसका आकलन अगले तीन महीनों में किया जा सकेगा।
जमीन मालिकों को विकल्प:

नई नीति के तहत, जिन लोगों की जमीन से रेत-बजरी निकलती है, वे इसका आकलन कराकर इसे खुद निकालकर बेच सकते हैं या क्रशर मालिकों को जमीन लीज पर दे सकते हैं। हालांकि, उन्हें जमीन में मौजूद रेत-बजरी की अनुमानित मात्रा के आधार पर रॉयल्टी सरकार को पहले ही देनी होगी। सरकारी या पंचायती जमीन से रेत-बजरी निकालने का फैसला संबंधित जिलों के डिप्टी कमिश्नर करेंगे।
पर्यावरण मंजूरी की ज़िम्मेदारी:
पहले सरकार पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी लेकर साइट्स की नीलामी करती थी, लेकिन अब पर्यावरण मंजूरी लेने की ज़िम्मेदारी जमीन मालिक या खनन करने वाले की होगी।
एकाधिकार खत्म होने की उम्मीद:
गोयल ने कहा कि नई नीति सभी हितधारकों के साथ मिलकर बनाई गई है। इससे रेत-बजरी के कारोबार में एकाधिकार खत्म होगा और बाजार में आपूर्ति बढ़ने से कीमतें कम होंगी। उन्होंने बताया कि खेत मालिकों द्वारा क्रशर तक बजरी ले जाने पर भी नज़र रखी जाएगी और इसे बिजली बिल से जोड़ा जाएगा।
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