नई दिल्ली: लोकसभा में बुधवार को भारी हंगामे के बीच वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने यह विधेयक पेश किया, जिसका कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने जमकर विरोध किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस विरोध का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक पर बनी जेपीसी कमेटी के सुझावों को कैबिनेट ने मंजूरी दी है, इसलिए पॉइंट ऑफ ऑर्डर का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि यह कांग्रेस के जमाने जैसी कमेटी नहीं है, हमारी कमेटियां दिमाग चलाती हैं। अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यदि यह विधेयक कैबिनेट की मंजूरी के बिना आता तो पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाया जा सकता था।
रिजिजू का कांग्रेस पर निशाना:
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस, पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी बिल में संशोधन के प्रयास हुए हैं और 2013 में वक्फ बोर्ड के नियमों में बदलाव किया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक कानून दूसरे कानून से ऊपर नहीं हो सकता। रिजिजू ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ को दीं और अगर यह विधेयक नहीं लाया जाता तो संसद भवन भी वक्फ का हो जाता। उन्होंने कहा कि अगर मोदी सरकार नहीं आती तो पता नहीं कितनी संपत्तियां और दे दी जातीं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पहले कभी वक्फ बिल को गैर-संवैधानिक नहीं कहा गया, तो अब इस संशोधन को गैर-संवैधानिक क्यों बताया जा रहा है?

“एक दिन हृदय परिवर्तन होगा”: रिजिजू
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विश्वास व्यक्त किया कि इस विधेयक का विरोध करने वालों के दिलों में भी बदलाव आएगा और सभी सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ इसका समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें न केवल उम्मीद है, बल्कि पूरा यकीन है कि ऐसा होगा।
दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा:
ANI के एक ट्वीट के अनुसार, किरेन रिजिजू ने बताया कि 1970 से दिल्ली में चल रहे एक मामले में CGO कॉम्प्लेक्स और संसद भवन सहित कई संपत्तियां शामिल थीं, जिन पर दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अपना दावा जताया था।
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