देहरादून: 38वें राष्ट्रीय खेलों में तमिलनाडु की विथ्या रामराज ने 400 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने 58.11 सेकंड का समय दर्ज कर यह उपलब्धि हासिल की। विथ्या एक ऑटो चालक की बेटी हैं और उन्होंने अपना जीवन अभावों में बिताया है।
विथ्या ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता रामराज के त्याग और संघर्ष को दिया। उन्होंने कहा कि उनके पिता की मेहनत और विश्वास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। कोयम्बटूर की रहने वाली 26 वर्षीय विथ्या के पिता की कमाई इतनी नहीं थी कि वह बेटी के लिए खेल किट ख़रीद सकें, लेकिन उन्होंने अपनी जमा पूंजी से बेटी की ज़रूरतें पूरी कीं।
विथ्या ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कभी अच्छी नहीं रही। उनके पिता का ऑटो ही आय का एकमात्र स्रोत था। उन्होंने बताया कि उनके पास पैसे नहीं होते थे, लेकिन उनके पिता ने खेल किट और अन्य संसाधन जुटाने के लिए कड़ा संघर्ष किया। विथ्या ने कहा कि उनका स्वर्ण पदक उनके पिता के संघर्षों का ही परिणाम है।
राष्ट्रीय खेलों में आने से पहले विथ्या ने अपने पिता से स्वर्ण पदक जीतने का वादा किया था, जिसे उन्होंने पूरा किया। विथ्या का मानना है कि कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से ही बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। उन्होंने खिलाड़ियों को भी यही संदेश दिया।
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