
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एक ज़बरन विवाह के मामले में हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें जमानत की शर्त के रूप में पत्नी को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि जमानत के लिए ऐसी अप्रासंगिक शर्तें नहीं लगाई जा सकतीं।
मामले में हाईकोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए पत्नी को 4000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था। इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अदालत जमानत देते समय केवल ऐसी शर्तें लगा सकती है जो यह सुनिश्चित करें कि आरोपी मुकदमे से न भागे और न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करे। गुजारा भत्ता देना इस मामले में अप्रासंगिक शर्त है।
हालांकि सरकारी वकील ने दलील दी कि अपीलकर्ता ने गुजारा भत्ता देने की पेशकश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि ज़बरन विवाह का आरोप गंभीर है और इस मामले में गुजारा भत्ता देना उचित नहीं है.

अपीलकर्ता का आरोप है कि उसका अपहरण करके जबरन शादी करवाई गई थी और उसने इस विवाह को रद्द करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता को मुकदमे के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
कोयला घोटाला मामले से जज ने खुद को अलग किया
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में जस्टिस के.वी. विश्वनाथन ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है. उन्होंने बताया कि वह इस मामले से जुड़े एक केस में पहले वकील के तौर पर पेश हो चुके हैं, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.
यह मामला अवैध कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़ा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर अपील पर रोक लगा दी गई थी.
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