नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के पास स्थित कुएं को ‘हरि मंदिर का कुआं’ घोषित करने और वहां पूजा की अनुमति देने वाले नगर पालिका के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मस्जिद के अलावा अन्य लोग भी कुएं का उपयोग कर सकते हैं, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में दो हफ़्तों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी।
कुएं पर पूजा पर रोक, यथास्थिति बरकरार रहेगी
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने निर्देश दिया है कि बिना अदालत की अनुमति के कुएं के संबंध में कोई भी कदम नहीं उठाया जाएगा। कुएं की वर्तमान स्थिति (यथास्थिति) बरकरार रहेगी और इस संबंध में जारी किया गया कोई भी नोटिस प्रभावी नहीं होगा।
मस्जिद कमेटी ने दी थी चुनौती
शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने संभल के सीनियर डिवीजन सिविल जज के 19 नवंबर 2024 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस आदेश में मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने की अनुमति दी गई थी। समिति का तर्क था कि सर्वेक्षण के कारण हिंसा और जान-माल का नुकसान हुआ, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप ज़रूरी हो गया था।
दोनों पक्षों की दलीलें
मस्जिद कमेटी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि “हम अनादि काल से इस कुएं से पानी निकालते आ रहे हैं।” उन्होंने कुएं के ऐतिहासिक महत्व पर ज़ोर दिया और ‘हरि मंदिर’ घोषित करने वाले नोटिस पर आपत्ति जताई। वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि कुआं मस्जिद की सीमा के बाहर है और ऐतिहासिक रूप से इसका इस्तेमाल पूजा के लिए होता रहा है। अहमदी ने इस दावे का विरोध करते हुए कहा कि कुआं आंशिक रूप से मस्जिद परिसर के अंदर और आंशिक रूप से बाहर है, और उन्होंने अपने दावे के समर्थन में गूगल मैप्स की तस्वीर भी पेश की।
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