SC: युवाओं में बढ़ता नशा: सर्वोच्च न्यायालय की चिंता और सामूहिक कार्रवाई का आह्वान – The Hill News

SC: युवाओं में बढ़ता नशा: सर्वोच्च न्यायालय की चिंता और सामूहिक कार्रवाई का आह्वान

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नई दिल्ली: देश के युवाओं में बढ़ते नशे के जाल को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गहरी चिंता व्यक्त की है। न्यायालय ने नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार और उनके सेवन पर चिंता जताते हुए कहा कि नशा करना बिल्कुल भी ‘कूल’ नहीं है। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि नशे की लत को एक वर्जित विषय नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि इस समस्या से निपटने के लिए खुली चर्चा की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने चेतावनी देते हुए कहा कि नशे के सामाजिक और आर्थिक खतरों के साथ-साथ मानसिक खतरे भी जुड़े हैं। पीठ ने युवाओं में बढ़ती नशे की लत के खिलाफ तत्काल सामूहिक कार्रवाई का निर्देश दिया।

माता-पिता, समाज और सरकार की भूमिका:

सर्वोच्च न्यायालय ने माता-पिता, समाज और सरकारों से मिलकर इस समस्या के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया। न्यायालय ने कहा कि भारत में नशे से जुड़े मुद्दों पर हमारी चुप्पी का फायदा आतंकवाद का समर्थन करने और हिंसा को बढ़ावा देने वाले उठा रहे हैं।

युवाओं पर दबाव और नशे का सहारा:

न्यायालय ने पाया कि दोस्तों का दबाव, शिक्षा का तनाव और अन्य कारणों से युवा नशे का सहारा ले रहे हैं। युवाओं को उन लोगों का अनुसरण नहीं करना चाहिए जो नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि नशे का सेवन केवल वंचित वर्ग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग भी इसकी चपेट में है। हमें उन लोगों को सलाह और मदद देने की आवश्यकता है जो नशे के जाल में फंस चुके हैं। पीठ ने कहा कि नशे के शिकार व्यक्ति के साथ सहानुभूति और प्यार से पेश आना चाहिए।

नशे के खिलाफ जागरूकता की आवश्यकता:

सर्वोच्च न्यायालय ने नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया। स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। माता-पिता को भी अपने बच्चों के साथ इस विषय पर खुलकर बातचीत करनी चाहिए और उन्हें नशे के खतरों के बारे में बताना चाहिए।

नशामुक्ति केंद्रों की भूमिका:

नशामुक्ति केंद्र नशे के शिकार लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं। ये केंद्र नशे की लत से छुटकारा पाने में मदद करते हैं और उन्हें एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। सरकार को नशामुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाने और उनकी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका:

नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पुलिस और अन्य एजेंसियों को नशीले पदार्थों के तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। सीमाओं पर निगरानी बढ़ाई जानी चाहिए और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए।

न्यायिक प्रक्रिया:

नशीले पदार्थों से संबंधित मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। नशीले पदार्थों के तस्करों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि दूसरों के लिए यह एक सबक हो।

समाज की जिम्मेदारी:

नशे की समस्या से निपटने में समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें नशे के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और उन्हें समाज में वापस लाने में मदद करनी चाहिए। हमें नशे के खिलाफ एक सकारात्मक माहौल बनाना होगा ताकि युवा नशे के जाल में फंसने से बच सकें।

यह टिप्पणी तब आई जब सर्वोच्च न्यायालय पाकिस्तान से भारत में 500 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी के मामले में आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। यह मामला नशे के खतरे की गंभीरता को दर्शाता है और इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देता है।

 

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