चंडीगढ़: सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत फिर से शुरू होने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि किसान संगठनों से बातचीत तो होती रहती है, लेकिन इस आंदोलन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट जो भी निर्देश देगा, केंद्र उसका पालन करेगा।
वैष्णव के इस बयान से पंजाब सरकार को बड़ा झटका लगा है। सरकार को उम्मीद थी कि केंद्र बातचीत शुरू करने का संकेत देगा, जिससे आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल चिकित्सा सुविधा लेने के लिए तैयार हो जाएंगे।
डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करवा सकती है पंजाब सरकार:
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए अब पंजाब सरकार डल्लेवाल को जबरन अस्पताल में भर्ती करवा सकती है। पूर्व एडीजीपी जसकरण सिंह और डीआईजी मनदीप सिंह सिद्धू ने खनौरी में किसान मोर्चा के साथ बैठक कर डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधा लेने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन बैठक बेनतीजा रही।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई:
पंजाब सरकार ने 31 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर डल्लेवाल को चिकित्सा सुविधा देने के लिए राजी करने हेतु तीन दिन का समय माँगा था। पंजाब सरकार ने कहा था कि केंद्र से बातचीत चल रही है। तीन दिन की मोहलत के आखिरी दिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने आश्वासन दिया कि डल्लेवाल को अनशन तोड़े बिना मेडिकल सहायता लेने के लिए मनाने के प्रयास जारी हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि केंद्र का यह नकारात्मक रवैया है, क्योंकि किसानों की समस्याओं और मांगों का संबंध केंद्र सरकार के साथ है, न कि राज्य सरकार के साथ।
डल्लेवाल का अनशन जारी, कई हस्तियों ने की मुलाकात:
खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल का आमरण अनशन 38वें दिन भी जारी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ लगातार दो दिन बैठकें कीं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
पंजाबी गायक बब्बू मान, हरियाणा की जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेता दिग्विजय चौटाला और लखीमपुर खीरी से सपा सांसद उत्कर्ष वर्मा ने बुधवार को डल्लेवाल से मुलाकात की।
कृषि विपणन नीति रद्द करने की मांग:
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता सरवन सिंह पंधेर ने पटियाला के शंभू बॉर्डर पर कहा कि पंजाब सरकार को विधानसभा सत्र में केंद्र सरकार की कृषि विपणन नीति को रद्द करने का प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
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