ढाका (बांग्लादेश): चटगाँव की एक अदालत ने पूर्व इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर दी है। द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, कड़ी सुरक्षा के बीच हुई सुनवाई के बाद चटगाँव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने यह फैसला सुनाया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के लगभग 30 मिनट बाद जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है, जिसके चलते उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। अधिवक्ता अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक कानूनी टीम चिन्मय का बचाव कर रही है। भट्टाचार्य ने बताया कि वे ऐनजीबी ओइक्या परिषद के बैनर तले चटगाँव आए हैं और उन्हें चिन्मय से वकालतनामा मिल चुका है।
पिछली सुनवाई और घटनाक्रम:
3 दिसंबर 2024 को चटगाँव अदालत ने जमानत पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी 2025 की तारीख तय की थी क्योंकि अभियोजन पक्ष ने समय याचिका प्रस्तुत की थी और उस समय चिन्मय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई वकील मौजूद नहीं था।
25 अक्टूबर को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने के आरोप में चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद से बांग्लादेश में अशांति का माहौल है। 25 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। 27 नवंबर को चटगाँव न्यायालय भवन के बाहर उनके समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक वकील की मौत हो गई।
इसके बाद दो अन्य साधुओं, आदिपुरुष श्याम दास और रंगनाथ दास ब्रह्मचारी को भी 29 नवंबर को हिरासत में लिया गया था। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधा रमन का दावा है कि दंगाइयों ने बांग्लादेश में इस्कॉन केंद्र में तोड़फोड़ की।
विदेश मंत्रालय की चिंता और पूर्व उच्चायुक्त का पत्र:
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और चरमपंथी बयानबाजी पर चिंता व्यक्त की है। मंत्रालय ने कहा है कि उसने ढाका के साथ अल्पसंख्यकों पर लक्षित हमलों के मुद्दे को लगातार उठाया है।
दिसंबर 2024 में बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने चिन्मय कृष्ण दास के बारे में एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें बांग्लादेश में अल्पसंख्यक संरक्षण कानून बनाने, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक मंत्रालय, अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण, मंदिरों को पुनः प्राप्त करने और उनकी सुरक्षा के लिए एक कानून, निहित संपत्ति वापसी अधिनियम का उचित प्रवर्तन और मौजूदा हिंदू, बौद्ध और ईसाई कल्याण ट्रस्टों को फाउंडेशन में अपग्रेड करने जैसी 8 मांगों का जिक्र किया गया था।
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