नई दिल्ली: बांग्लादेश में एक बार फिर छात्र आंदोलन के ज़ोर पकड़ने के संकेत मिल रहे हैं। राजधानी ढाका के शहीद मीनार पर छात्र नेताओं के इकट्ठा होने की खबर है। कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने इस कार्यक्रम का जमकर प्रचार किया है और कहा जा रहा है कि शहीद मीनार पर लगभग 30 लाख लोग जुटेंगे। इस आंदोलन की गूंज से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी चिंतित दिख रही है।
छात्र नेताओं की रैली:
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पहले ‘जुलाई क्रांति’ का ऐलान करने की बात कही थी, लेकिन छात्र नेताओं ने इसका विरोध किया और कहा कि जुलाई क्रांति का ऐलान वे खुद करेंगे। शहीद मीनार पर होने वाली रैली में इसकी घोषणा की बात कही गई। छात्र नेताओं के इस एलान के बाद अंतरिम सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए और कहा कि सरकार की तरफ से ऐसी कोई तैयारी नहीं है। छात्र संगठनों का कहना है कि जुलाई-अगस्त के विद्रोह ने फासीवादी व्यवस्था को खत्म कर एक नए बांग्लादेश के निर्माण की प्रेरणा दी थी।
संविधान में बदलाव की मांग:
छात्र नेता बांग्लादेश के संविधान में बदलाव चाहते हैं। उनकी पहली मांग देश का नाम बदलकर ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश’ या ‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान’ करने की है। इसके अलावा, वे देश में सुन्नत और शरीया कानून लागू करने की भी मांग कर रहे हैं। साथ ही, बांग्लादेश की सत्ता पर पूरी तरह कब्ज़ा करने के लिए राष्ट्रपति और सेना प्रमुख से जबरन इस्तीफा लेने और मोहम्मद यूनुस को राष्ट्रपति बनाने की चर्चा भी है।
नया संविधान बनाने की कोशिश:
छात्र नेता 1972 में बनाए गए संविधान को ‘मुजीबिस्ट चार्टर’ बताकर उसे खारिज कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इस संविधान ने भारत को बांग्लादेश पर राज करने का मौका दिया है। हालांकि, बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीएनपी ने छात्रों की इस मांग का विरोध किया है। खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी का कहना है कि संविधान में कुछ गलत है तो उसे बदला जा सकता है, लेकिन पूरे संविधान को खत्म करना सही नहीं है.
‘मार्च फॉर यूनिटी’:
छात्र नेताओं ने ‘जुलाई क्रांति’ का नाम बदलकर अब ‘मार्च फॉर यूनिटी’ कर दिया है। यह देखना होगा कि यह आंदोलन किस दिशा में जाता है और इसका बांग्लादेश की राजनीति पर क्या असर पड़ता है। इस आंदोलन पर भारत की भी नज़र है, क्योंकि इससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
Pls read:Maldives: मालदीव के राष्ट्रपति पर महाभियोग के लिए भारत से मांगे गए थे 60 लाख डॉलर?