चंडीगढ़: पंजाब में लगभग 30 महीनों से 85% घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद राज्य पावरकॉम को लगभग 1000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पछवाड़ा कोयला खदान को फिर से चालू करने के फैसले के कारण संभव हुआ है।
2015 से बंद पड़ी इस खदान को दिसंबर 2022 में पुनः चालू किया गया था। इससे कोल इंडिया लिमिटेड की तुलना में सस्ता कोयला मिल रहा है। पछवाड़ा खदान से कोयला प्रति 1 लाख मीट्रिक टन पर 11 करोड़ रुपये सस्ता पड़ रहा है। पीएसपीसीएल ने अब तक 92 लाख मीट्रिक टन कोयला प्राप्त किया है, जिससे थर्मल प्लांट्स में कोयले की कोई कमी नहीं है। रोपड़, लहरा मोहब्बत और गोइंदवाल साहिब स्थित थर्मल प्लांट्स में क्रमशः 35, 26 और 28 दिनों का कोयला भंडार उपलब्ध है, जबकि पहले यह भंडार केवल 7 से 10 दिनों का होता था।
गोइंदवाल साहिब प्लांट के अधिग्रहण से 350 करोड़ की बचत:
पंजाब सरकार ने गोइंदवाल साहिब में स्थित 540 मेगावाट के जीवीके थर्मल प्लांट (अब श्री गुरु अमरदास थर्मल प्लांट) का अधिग्रहण किया है। इस प्लांट को 2 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की दर से खरीदा गया, जिससे 350 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत हो रही है। इस प्लांट की बिजली उत्पादन क्षमता भी 35% से बढ़कर 77% हो गई है। इन कदमों के कारण राज्य सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने में सक्षम हुई है।
मुख्यमंत्री मान के अनुसार, प्राइवेट थर्मल प्लांट की खरीद, पछवाड़ा कोल माइन को चालू करना और बिजली वितरण क्षेत्र में सुधार से यह सब संभव हो पाया है।
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